अपनी सरजमीं पर खेल रही भारतीय हाकी टीम कल कनाडा के खिलाफ 11वें एफआईएच जूनियर विश्व कप में अपने अभियान का आगाज करेगी तो उसका इरादा पंद्रह साल से खिताब नहीं जीत पाने का सिलसिला तोड़ना होगा।
भारत को पंद्रह बरस पहले एकमात्र जूनियर हाकी विश्व कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले अनुभवी फारवर्ड दीपक ठाकुर का मानना है कि भारतीय हाकी का अस्तित्व बचाने के लिये वह टूर्नामेंट एक जंग की तरह था और सुविधाओं के अभाव में भी हर खिलाड़ी के निजी हुनर के दम पर टीम ने नामुमकिन को मुमकिन कर डाला।
अगला जूनियर हॉकी विश्व कप इस साल आठ से 18 दिसंबर तक लखनऊ में खेला जायेगा। इसमें 16 टीमें भाग लेंगी जिनमें गत चैम्पियन जर्मनी, अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, मिस्र, इंग्लैंड, भारत, जापान, कोरिया, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान और स्पेन शामिल हैं।
युवा भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी सिरिल वर्मा को पेरू के लीमा में चीनी ताइपे के चिया हुंग ल्यू के खिलाफ फाइनल में शिकस्त के साथ बीडब्ल्यूएफ विश्व जूनियर चैम्पियनशिप में रजत पदक के साथ संतोष करना पड़ा।