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										    कोलकाता से जब भारतीय सीमा के आखरी गांव बॉनगांव में रात रूकी तो कई बार एक ही सवाल पूछा गया, ‘बांग्लादेश क्यों जा रही हैं? वहां तो कुछ नहीं है।’ जवाब में ‘घूमने’ कहने पर लोगों की प्रतिक्रिया ऐसी होती थी जैसे कहना चाह रहे हों, ‘बेवकूफ।’										
                                                                                
                                     
                                                 
			 
                     
                    