हरियाणा के रोहतक से निर्भया जैसी दर्दनाक घटना सामने आई है। सोनीपत की 23 वर्षीय युवती का अपहरण कर उसके साथ गैंगरेप किया और बर्बरता की सारी हदें पार कर दी गईं।
पूरे देेेेश को शर्मसार करने वाले निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पूरे देश में नई चेतना आई। जिसके बाद बलात्कारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कानून बनाने और ऐसे जघन्य अपराध में लिप्त नाबालिगों को भी कड़ी सजा दिलवाने की मुहिम छिड़ी।
निर्भया कांड के दोषियों को फांसी की सजा बरकरार रख अदालत ने अपनी तरह से इंसाफ कर दिया है, लेकिन महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के मामले में सरकारी सुस्ती दूर नहीं हुई है। महिला सुरक्षा और पीड़ित महिलाओं के पुनर्वास के लिए स्थापित निर्भया फंड के इस्तेमाल की गति शुरुआत से ही काफी धीमी रही है।
निर्भया बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सजा पाने वाले दोषियों के वकीलों ने शुक्रवार को कहा कि जनता के दबाव में आकर ही उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बरकार रखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज निर्भया मामले में चार दोषियों की अपील पर हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखी है। फैसले के दौरान निर्भया के माता-पिता भी कोर्ट में मौजूद थे।
16 दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंगरेप (निर्भया) मामले में चार दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा। सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि गैंगरेप के दोषियों को फांसी की सजा मिलेगी या नहीं। जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानूमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच फैसला सुनाएगी।
निर्भया कांड के पश्चात किशोर न्याय अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद मध्यप्रदेश के झाबुआ की एक अदालत ने दो नाबालिगों को हत्या के आरोप में वयस्क की श्रेणी में रखा और उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई है।
निर्भया सामूहिक बलात्कार कांड में अपराधी ठहराए गए किशोर आरोपी की रिहाई को नजदीक देखते हुए केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने आज कहा कि उन्होंने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर मांग की है कि यौन अपराधों के आरोपी और इन मामलों में सजा काट चुके अपराधियों के एक बार कारागार से रिहा होने के बाद भी उन पर कड़ी नजर रखी जाए।