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विश्व के कुल शरणार्थी बच्चों की आधी संख्या स्कूल से दूर: संयुक्त राष्ट्र

विश्व के कुल शरणार्थी बच्चों की आधी संख्या स्कूल से दूर: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि विश्व के करीब 60 लाख शरणार्थी बच्चों की आधी से भी कम संख्या स्कूल में पढ़ती है जिसका अर्थ यह हुआ कि वैश्विक औसत की तुलना में उनके शिक्षा प्राप्त करने की संभावना पांच गुना कम है।
गाय के चमड़े की कमी : क्रिकेट की गेंद के दाम 400 से बढ़कर हुए 800 रुपए

गाय के चमड़े की कमी : क्रिकेट की गेंद के दाम 400 से बढ़कर हुए 800 रुपए

बीफ यानी गाय के मांंस पर प्रतिबंध और चमड़े के परिवहन में आ रही दिक्‍कत के बाद क्रिकेट की गेंद के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी हो गई है। जो गेंद एक साल पहले 400 रुपए की मिलती थी वहीं अब 800 रुपए की मिल रही है। उत्‍तर प्रदेश के कई इलाकों में बीफ पर बैन है। इसके अलावा गाय के चमड़ेे का परिवहन करने में अब ट्रांसपोर्टर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस वजह से गाय के चमड़े की किल्लत हो गई है। गाय के चमड़े से क्रिकेट की लाल गेंद बनाई जाती है। एक गाय के चमड़े से करीब तीन दर्जन गेंद तैयार की जा सकती हैं।
बेहतर जिंदगी की जद्दोजहद में दर्जनों प्रवासी भूमध्य सागर में डूबे

बेहतर जिंदगी की जद्दोजहद में दर्जनों प्रवासी भूमध्य सागर में डूबे

युद्ध और भुखमरी के हालात से बचने के लिए यूरोपीय देशों में पनाह की आस में भूमध्य सागर पार करने की कोशिश में लगातार प्रवासियों की जान जा रही है। ताजा घटना में इटली पहुंचने की जद्दोजहद कर रहे लीबिया के कई लोग भूमध्य सागर में हादसे का शिकार हो गए। इतावली नौसेना ने अब तक 45 प्रवासियों के शव बरामद किए हैं जिनकी मौत डूबने से हो गई। इस सागर में हाल में हुई तीसरी बड़ी त्रासदी में अभी भी दर्जनों लोग लापता हैं।
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति नशीद को ब्रिटेन ने दिया राजनीतिक शरण

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति नशीद को ब्रिटेन ने दिया राजनीतिक शरण

ब्रिटेन ने मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को राजनीतिक शरणार्थी का दर्जा दे दिया है। नशीद को आतंकवाद से जुड़े विवादित आरोपों की सुनवाई के बाद 13 साल कैद की सजा मिली थी, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक आलोचनाएं हुई थीं।
कुपोषण से मुक्ति एक सपना बन गया है

कुपोषण से मुक्ति एक सपना बन गया है

कुपोषण एक ऐसी बीमारी जो कि बच्चों के विकास में बाधक ही नहीं बल्कि समाज के लिए चिंता का विषय है। कुपोषण से मुक्ति की सरकार लाख कोशिशें कर ले लेकिन इससे मुक्ति एक सपना बन गया है। राष्ट्रीय प्रतिष्ठान और सेव द चिल्ड्रेन के लिए किए जा रहे शोध के दौरान पाया गया कि सरकारी आंकड़े कुपोषण को लेकर कुछ और स्थिति बताते हैं जबकि जमीनी हकीकत कुछ और होती है।
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