‘वो स्वाइप करके उतर गई मेरे दिल में’ सुदीप नगरकर के अंग्रेजी उपन्यास नॉवेल ‘शी स्वाइप्ड राइट इनटू माय हार्ट’ का हिंदी अनुवाद है। नगरकर पहले से ही रोमांटिक नॉवेल्स के कारण जाने-पहचाने नाम बन चुके हैं। ये नॉवेल भी प्रेम कहानी है जो दोस्ती की चाशनी में भीगी हुई है।
टाटा समूह की प्रमुख धारक कंपनी टाटा संस ने पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री पर हमला बोलते हुए उन पर समूह का भरोसा तोड़ने का आरोप लगाया और कहा कि वे समूह की प्रमुख कारोबारी कंपनियों पर अपना नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे थे।
टाटा संस के स्वतंत्र निदेशक व पूर्व राजनयिक रोनेन सेन ने दस्तावेजों को सोचे-समझे अंदाज में लीक करने के लिए साइरस मिस्त्री पर निशाना साधा है और कहा है कि इसके जरिए लगाए आक्षेप एक तरह से स्वकेंद्रित प्राथमिकताओं व सोच वाली मनोदशा को परिलक्षित करता है।
देश की अग्रणी उद्योग समूह टाटा संस ने एक आश्चर्यजनक घटना क्रम के तहत साइरस मिस्त्री को आज कंपनी के चेयरमैन पद से हटा दिया। कंपनी के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को कंपनी के चेयरमैन का अंतरिम प्रभार दिया गया है।
बचपन सभी का सुनहरा होता है। इसी बचपन की यादों का पिटारा जब शब्दों में सहेज लिया जाता है तो किताब बन जाता है। ऐसी ही एक किताब है आर के नारायण की। उनके बचपन के संस्मरणों पर आधारित इस किताब का नाम है, मेरी जीवन गाथा।
नरेंद्र मोदी सरकार पर नए सिरे से निशाना साधते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कश्मीर की स्थिति से निपटने के केंद्र सरकार के तरीके पर सवाल खड़ा करते हुए भाजपा पर हिंदुओं की आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि देश की तस्वीर साफ नहीं है।
रस्किन बॉन्ड ऐसे लेखक हैं, जिनकी रचनाओं को हर उम्र के लोग चाव से पढ़ते हैं। इसकी मुख्य वजह उनकी कहानियों में पठनीयता का होना है। कहानियों का स्वतः प्रवाह, रोचकता के साथ प्रकृति से जुड़ाव को अनूठी शैली में रचने का उनका अपना अंदाज है।
हर व्यक्ति का अपना एक अतीत होता है। बल्कि कहना गलत न होगा कि हमारा वर्तमान हमारे अतीत की नींव पर टिका होता है। ऐसे में अगर हमारे भीतर से अतीत विस्मृत हो जाए तो हमारा पूरा वजूद डावांडोल होने लगता है। हम अपनी पहचान के संकट से आक्रांत हो उठते हैं। ऐसे में किसी संवेदनशील व्यक्ति का अपने अतीत की तहों में उतरकर स्मृतियों के रेशे तलाशना स्वाभाविक है।
तरक्की के इस दौर में, सभ्यता और आधुनिकता के बीच तालमेल बनाने की होड़ मची हुई है। इस दौर में परिवारों का ढांचा भी बदल गया है। संयुक्त परिवारों की जटिलताओं के दौर से निकलने के बाद तरक्की पसंद लोगों ने एकल परिवार की नई परिकल्पना संसार को दी थी।