प्याज उत्पादक किसानों को राहत देने की कोशिश में मध्यप्रदेश सरकार को दोहरी मार पड़ी है। सरकार ने छह रु. किलो के हिसाब से 10.4 लाख क्विंटल प्याज खरीदी। उसे गोदाम तक पहुंचाने में करीब 7 करोड़ रु. खर्च हो गए। तय हुआ कि प्याज को खुले बाजार में बेचा जाएगा। कोशिश भी हुई लेकिन बिकी नहीं।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, सीवीसी दिशानिर्देशों के उलट ठेकेदारों को ब्याज-मुक्त संग्रहण अग्रिम का भुगतान किए जाने से उन्हें अनुचित लाभ पहुंचाया गया और कंपनी को 156.02 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।