मां-बाप के द्वारा 'बच्चे का भविष्य' संवारने के उद्देश्य से उन्हें स्कूल भेजा जाना, फिर उस बच्चे का कभी न लौटकर आना या कुछ ऐसे घाव साथ लेकर आना जिससे उबरने में शायद जिंदगी बीत जाए। ऐसे मां-बाप पर क्या गुजरेगी?
बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय खंड पीठ के सामने जिस तरह सरकार और पीठ के बीच तीखे शब्दों का आदान-प्रदान हुआ, उसे देखते हुए अब तक फुसफुसाए जा रहे कुछ सवाल थोड़ा ज्यादा जोर से सुनाई पडऩे लग गए हैं। क्या कार्यपालिका और न्यायपालिका एक बड़े टकराव की ओर बढ़ रही हैं? क्या संसद ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) विधेयक पारित करने में हड़बड़ी दिखाई ?