डीयू की पहली कटऑफ लिस्ट में पिछले साल के मुकाबले गिरावट देखी गई है। इस साल बड़े कॉलेजों जैसे श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, रामजस, हंसराज किरोड़ीमल कॉलेज की कटऑफ में 0.50 से 3% तक की गिरावट दर्ज की गई है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने स्मार्ट सिटी मिशन के तहत आज तीसरे राउंड की लिस्ट जारी कर दी। स्मार्ट सिटी की तीसरी लिस्ट में तिरुवनंतपुरम टॉप पर है। पहले राउंड में 20 शहरों की घोषणा की गई थी, जिनमें भुवनेश्वर टॉप पर रहा।
उत्तराखंड के चमोली जिले के एक गांव की महिलाओं ने हजारों रुपयों की अंग्रेजी शराब भरी कार और एक तस्कर को पकड़ लिया। तस्कर ने कार के आगे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गुरुग्राम हरियाणा का नाम लगा रखा था।
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में खुले में शौच करती महिलाओं के फोटो लेने से रोकने पर नगर परिषद कर्मियों ने कथित रूप से एक व्यक्ति को पीट-पीट कर मार डाला। घटना को राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। वहीं भाकपा (माले) ने इसे स्वच्छता अभियान के नाम पर हत्या करार दिया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज ने आज अपनी पहली कट-ऑफ लिस्ट जारी कर दी है। इस लिस्ट को देखने के लिए विद्यार्थी आधिकारिक वेबसाइट www.ststephens.edu पर जाकर देख सकते हैं। कॉलेज की पहली कट-ऑफ लिस्ट विद्यार्थियों के लिए थोड़ी राहत भरी है।
इन दिनों गुजरात चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने राज्य में जनसंपर्क अभियान तेज कर दिया है। एक ओर जहां भाजपा घर-घर जाकर 'मेरा घर भाजपा का घर' के स्टीकर चस्पा कर रही है। तो वहीं दूसरी ओर गुजरात भाजपा अध्यक्ष जीतू वघानी की आवाज में लोगो को मैसेज सुनाए जा रहे हैं। लेकिन जिस नंबर से यह संदेश लोगों तक पहुंच रहा है वह काफी हैरान करने वाला है।
एक ओर जहां मोदी सरकार सत्ता में तीन साल पूरे होने का जश्न मना रही है। वहीं, दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने एक अनोखे तरीके का प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन को किसी मंत्री या नेता के घर के सामने नहीं बल्कि एक दावत के दौरान किया गया। इस खास दावत में मोदी की नाकामी पर व्यंजनों का नाम दिया गया।
भारतीय जनता पार्टी ने मांग की है कि दिल्ली में बाबर रोड का नाम बदलकर शहीद लेफ्टिनेंट उमर फैयाज किया जाए। पिछले दिनों आतंकवादियों ने राजपूताना राइफल्स के 23 साल के लेफ्टिनेंट फैयाज का अपहरण कर हत्या कर दी थी।
केंद्र सरकार ने 2017 में किए गए सर्वे के बाद स्वच्छ शहरों की सूची पेश की है उसमें कुछ शहरों को निचले पायदान पर रखा गया है। वहीं कुछ शहरों को एक-दो सालों के अंतराल में ही शीर्ष स्थान में शामिल किया गया है। सरकार के मापदंडों के आधार पर शहरों का क्रम विकास के पैमाने को अवश्य परिभाषित कर रहा है लेकिन कुछ खास शहरों का पीछे रह जाना कुछ सवाल भी पैदा कर रहा है।