नए बजट में कला संस्थाओं के बजट में कटौती हो गई है। सरकार को लगता है कि कलाकारों को पैसों की कुछ खास जरूरत नहीं होती। वे कला को ही ओढ़-बिछा कर अपना जीवन यापन कर सकते हैं।
खजुराहो नृत्य समारोह-एक ऐसे दौर में जब कला को खुद को जिंदा व प्रासंगिक बनाए रखने के लिए जद्दोजेहद करनी पड़ रही है, अलग-अलग कलाओं का एक-दूसरे का सहारा बनकर एक मंच पर आना एक सुकून देने वाला अनुभव है। खजुराहो नृत्य समारोह ऐसा करने में काफी हद तक कामयाब रहा है।
राजधानी दिल्ली में भारत कला मेला समाप्त हो गया है लेकिन उसकी ऐसी ही कई छवियां दर्शकों के दिमाग में दर्ज हो गई हैं। कला के विविध रंग इस मेले में देखने कि मिले। बड़े और नामी कलाकारों की कृतियां इस मेले में आम लोगों ने करीब से देखी और परखीं।