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किसानों पर दोहरी मार, इस साल भी कमजोर मानसून की आशंका

किसानों पर दोहरी मार, इस साल भी कमजोर मानसून की आशंका

नई दिल्‍ली। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की मार झेल रहे किसानों पर इस साल दोहरी मार पड़ने जा रही है। मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल मानसून सामान्‍य से 7 फीसदी कम रहेगा। मानसून पर अल नीनो का खतरा मंडरा रहा है, जिसके चलते बारिश का इंतजार लंबा खिंच सकता है। गौरतलब है कि पिछले साल भी मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान देश में सामान्‍य से 12 फीसदी कम बारिश हुई थी। गौरतलब है कि भारत में 70 फीसदी बारिश मानसून सीजन के दौरान पड़ती है।
जम्मू कश्मीर में खराब मौसम ने ली 16 की जान

जम्मू कश्मीर में खराब मौसम ने ली 16 की जान

जम्मू के कुछ हिस्सों और घाटी के कई स्थानों में मूसलाधार वर्षा के कारण भूस्खलन से मारे गए छह अन्य लोगों के शव मंगलवार को बरामद किए गए और इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में वर्षा और बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या बढकर 16 हो गई है।
विश्व कपः भारत की हालत खराब

विश्व कपः भारत की हालत खराब

विश्व कप क्रिकेट के दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया द्वारा खड़ी 329 रनों की विशाल चुनौती का पीछा कर रही भारतीय टीम की पारी लड़खड़ा गई है।
ये मौसम और ये सावधानी

ये मौसम और ये सावधानी

मौसम के बदलाव पर नजर रख उसके अनुरूप खान-पान बदल लिया जाए तो कई परेशानियों से बचा जा सकता है। यह मौसम सर्दी-जुकाम, गला खराब होने का मुफीद मौसम है। गर्मी का अहसास होते ही ठंडी चीजों पर टूट पड़ने के बजाय जरा धैर्य से काम लें।
बिन मौसम बरसात से संकट में किसान

बिन मौसम बरसात से संकट में किसान

बिन मौसम बरसात ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। मार्च महीन में हुई भारी बारिस से किसानों फसल को नुकसान पहुंचा दिया है जिससे किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में बारिस से हुए नुकसान के बाद एक किसान ने आत्महत्या कर ली।
अच्छे मॉनसून से फिरेंगे किसानों के दिन

अच्छे मॉनसून से फिरेंगे किसानों के दिन

‌पिछले दिनों बेमौसम बारिश से बेशक लाखों टन अनाज बर्बाद हो गए हों लेकिन मौसम विभाग की मानें तो इस बार बंपर मॉनसून की भविष्यवाणी की गई है जिससे जल्द ही किसानों के दिन फिरने वाले हैं।
राहुल का प्रचार अभियान सबसे खराब: पुस्तक

राहुल का प्रचार अभियान सबसे खराब: पुस्तक

सांघवी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक रहस्य करार दिया है। लेखक ने लिखा है, वह बेहद निजी जीवन से निकलकर कांग्रेस को उबारने के लिए आई थीं और दो चुनावों, 2004 एवं 2009, में कांग्रेस की जीत की अगुवाई की। जब यह सब कुछ हो रहा था तो वह कहां थीं? उनका राजनीतिक सहज ज्ञान कहां था? क्या उन्हें यह नहीं दिख रहा था कि कांग्रेस विनाश की ओर बढ़ रही है ? लेखक कहते हैं, इन सवालों का जवाब वास्तव में कोई नहीं जानता है।
आया मौसम प्यार का

आया मौसम प्यार का

वेलेंटाइन डे दस्तक दे रहा है। एक हफ्ते के हग डे, चॉकलेट डे, किस डे के बाद अब आ गया है प्यार का दिन
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