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Search Result : " जमात-ए-इस्लामी हिंद"

‘फिरकापरस्त’ तबका समझ रहा हम जो जी चाहें करें-मौ.अरशद मदनी

‘फिरकापरस्त’ तबका समझ रहा हम जो जी चाहें करें-मौ.अरशद मदनी

देश के मौजूदा सियासी-सामाजिक हालातों पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के सदर मौलाना सय्यद अरशद मदनी मौजूदा सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं। उनका कहना है कि कुछ मौजूदा मसलों पर सरकार ने अगर समझदारी का सुबूत न दिया,जो लोग मुल्क के हालात खराब करने की कोशिश कर रहे हैं अगर सरकार के हाथ उनकी गर्दन तक नहीं पहुंचे या उनके हौसले को न तोड़ा गया तो हालात खराब होंगे।
आजादी महात्मा गांधी के कारण नहीं मिलीः इंद्रेश कुमार

आजादी महात्मा गांधी के कारण नहीं मिलीः इंद्रेश कुमार

आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है देश को आजादी महात्मा गांधी के भारत छोड़ो अथवा असहयोग आंदोलनों की वजह से नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित सशस्त्र आजाद हिंद फौज की वजह से मिली।
आइएसआइएस के प्रभाव को खत्म करने के लिए इमाम सोशल मीडिया का इस्तेमाल करेंगे

आइएसआइएस के प्रभाव को खत्म करने के लिए इमाम सोशल मीडिया का इस्तेमाल करेंगे

युवाओं को आइएसआइएस और अन्य आतंकी संगठनों के प्रति आकर्षित होने से रोकने के लिए यहां के इमाम सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहे हैं। वह सोशल मीडिया के जरिये युवाओं को इस्लाम का सही अर्थ समझाएंगे और शांति के संदेश का प्रसार करेंगे।
आईएस इस्लाम पर कब्जा नहीं कर सकता - मौलाना महमूद मदनी

आईएस इस्लाम पर कब्जा नहीं कर सकता - मौलाना महमूद मदनी

‘ इस्लाम की खासियत है कि वह कट्टर नहीं हो सकता है। जमीअत-उलमा-ए-हिंद उसी इस्लाम का प्रतिनिधत्व करती है। जो कट्टर है वह इस्लाम नहीं है।‘ दिल्ली में आयोजित ईद मिलन समारोह के दौरान यह बात जमीअत-उलमा-ए-हिंद के सचिव मौलाना महमूद मदनी ने कही। उन्होंने कहा कि पावन रमजान के बाद इनाम का दिन आता है और वह दिन ईद का होता है।
‘हुकूमत की खामोशी मायूसी पैदा करती है’

‘हुकूमत की खामोशी मायूसी पैदा करती है’

जमीअत-उलमा-ए-हिंद की ओर से दिल्ली में आयोजित ईद मिलन समारोह में उपराष्ट्रपति समेत देश की जानी-मानी हस्तियों ने शिरकत की। इनमें सियासतदान, धार्मिक नेता, कई मुल्कों के राजदूत और देश के गणमान्य लोग शामिल थे।
दो बेगमों की जिद ने बांग्‍लोदश में खड़े किए मुश्किल हालात

दो बेगमों की जिद ने बांग्‍लोदश में खड़े किए मुश्किल हालात

बांग्‍लोदश के जन्‍म के समय कई लोगोें ने पाकिस्‍तान की मंशा का विरोध किया था। बांग्‍लादेश में 30 फीसदी अल्‍पसंख्‍यक हैं, जिन्‍हाेंने पाकिस्‍तान का साथ दिया था। इनमें सेना, पुलिस, नागरिक सेवक, इस्‍लामिक समूह जैसे जमात-ए-इस्‍लामी आदि शामिल थे। बांग्‍लोदश नेशनलिस्‍ट पार्टी की खालिदा जिया भी पाकिस्‍तान के पक्ष में हैं। प्रधानमंत्री और अवामी लीग की अध्‍यक्ष शेख हसीना का भारत की तरफ झुकाव है। हसीना भावुक हैं और कठोर फैसले नहीं ले पाती हैं। इन दोनों बेगमों की विचारधारा और कार्य करने का जो अंतर है, उसी में बांग्‍लादेश फंस गया है।
बांग्लादेश ने 1971 के युद्ध अपराधी को आधी रात को चढ़ाया फांसी पर

बांग्लादेश ने 1971 के युद्ध अपराधी को आधी रात को चढ़ाया फांसी पर

कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख मोतीउर रहमान निजामी को बीती रात फांसी दे दी गई। मोतीउर रहमान जमात का सबसे बुजुर्ग इस्लामी नेता था, जिसे 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए युद्ध अपराधों के लिए फांसी पर लटकाया गया।
सईद को कब से होने लगी मंदिरों की चिंता, बोला पाक में नहीं होने देंगे विध्‍वंस

सईद को कब से होने लगी मंदिरों की चिंता, बोला पाक में नहीं होने देंगे विध्‍वंस

पाकिस्तान के प्रतिबंधित जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद ने कहा कि उसका संगठन देश में मंदिरों एवं गैर-मुस्लिमों के अन्य पवित्र स्थानों का विध्वंस नहीं होने देगा।
राष्ट्रवाद पर बहस के पहले दौर में भाजपा के लिए वैचारिक जीत: जेटली

राष्ट्रवाद पर बहस के पहले दौर में भाजपा के लिए वैचारिक जीत: जेटली

राष्ट्रवाद पर वैचारिक संघर्ष को आगे बढ़ाने का इरादा जाहिर करते हुए केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि भाजपा ने पहला दौर तो जीत लिया है क्योंकि अब तक जो लोग भारत विरोधी नारे लगाते थे अब अगर भारत माता की जय नहीं तो जय हिंद कहने को तो मजबूर हुए हैं।
‘लोग आग उगल रहे हैं और सरकार मुंह में बताशा डालकर बैठी है’

‘लोग आग उगल रहे हैं और सरकार मुंह में बताशा डालकर बैठी है’

‘ संसद एक मरकज अदारा है लेकिन वहां बैठे लोग नफरत उगल रहे हैं। खासकर मुस्लिम अकिलियत के खिलाफ। साल भर से आग उगलने का यह सिलसिला जारी है और सरकार मुंह में बताशा डालकर बैठी है। इसका मतलब समझा सकता है। लेकिन इस देश में धर्मनिरपेक्षता का दस्तूर जारी रखने के लिए हम मैदान में आए हैं। इसके लिए 12 मार्च को दिल्ली में लगभग 40,000 हिंदू, मुसलमान, दलित और ईसाई धर्म के लोग इक्ट्ठा होकर अमन का पैगाम देंगे।‘ यह कहना है जमीअत-उलमा-ए-हिंद के सदर मौलाना सईद अरशद मदनी का।
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