जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन एनएसयूआई के कुछ छात्रों ने दशहरा के अवसर पर रावण की जगह कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और योग गुरु बाबा रामदेव समेत उनके तमाम सहयोगियों का पुतला फूंका। छात्र यही नहीं थमे बल्कि इस निंदनीय घटना का वीडियो बनाकर इसे फेसबुक पर भी पोस्ट कर दिया।
देश के मुस्लिम बहुल राज्य जम्मू कश्मीर के हिंदू बहुल जम्मू क्षेत्र में विजय दशमी की तैयारियां उत्तर प्रदेश के एक मुस्लिम परिवार के बिना पूरी नहीं होतीं। यह परिवार पर्व के एक महिने पहले पहुंचकर पुतले बनाने के काम में लग जाता है जिन्हें जम्मू के अलावा दूरस्थ क्षेत्रों के पंडालों में भी लगाने के लिए पूजा समितियां ले जाती हैं।
देशभर में बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर लोगों ने आज रावण, उसके बेटे मेघनाद और भाई कुंभकर्ण के पुतले जलाने की परंपरा के साथ दशहरा मनाया। इस बार आतंकवाद और आतंकवादियों के प्रतीक के रूप में भी पुतले जलाए गए। सुरक्षाकर्मियों की पैनी नजर के बीच देशभर में पटाखों से भरे इन पुतलों के दहन के साथ दशहरा का त्यौहार शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश को विजयादशमी के पर्व पर की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने स्वयंसेवकों को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्थापना दिवस पर भी बधाई दी। मोदी ने ट्वीट किया, स्थापना दिवस पर सभी स्वयंसेवकों को मेरी शुभकामनाएं। मोदी आज लखनऊ की ऐशबाग रामलीला देखने जाएंगे लेकिन रावण के पुतले का दहन नहीं करेंगे। उनके वहां से जाने के बाद पुतला दहन किया जाएगा।
लखनऊ के ऐशबाग मैदान में दशहरे के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को संदेश दिया है कि अनाचार, अत्याचार रूपी रावण को खत्म करने के लिए लोगों को अपने अंदर बदलाव लाने की जरूरत है। उन्होंने रामायण में जटायु का जिक्र करते हुए कहा कि सीता हरण के दौरान रावण से संघर्ष कर अपने प्राण गंवाने वाला जटायु आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का पहला योद्धा था।
उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजधानी लखनऊ में दशहरा मनाने को राजनीतिक स्वार्थ करार दिया और कहा कि भाजपा को अब धर्म की राजनीति करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
छत्तीसगढ़ के बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाले विश्व प्रसिद्ध दशहरा के लिए इन दिनों लगभग 34 गांवों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। यहां रथ खींचने का अधिकार केवल किलेपाल के माड़िया लोगों को ही है। रथ खींचने के लिए जाति का कोई बंधन नहीं है। हर गांव से परिवार के एक सदस्य को रथ खींचना ही पड़ता है। इसकी अवहेलना करने पर परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए जुर्माना लगाया जाता है।