नेपाल में शुक्रवार को भी भूकंप के दो बड़े झटके महसूस किए गए। इस कारण तबाही से जूझ रहे लोगों में दहशत फैल गई। अब तक भूकंप में मरने वालों की संख्या लगभग 8,000 तक पहुंच चुकी है।
अमेरिका में नौकरी करना विकासशील देशों के युवाओं का सबसे सुहाना सपना होता है और इस सपने को पूरा करने के लिए अमेरिकी सरकार इन युवाओं को एच-1बी वीजा जारी करती है जिनके जरिये अल्पकाल के लिए अमेरिका में नौकरी का मौका मिलता है।
केरल में महिला खिलाडि़यों के यौन उत्पीड़न और आत्महत्या के प्रयास का सनसनीखेज मामला सामने आया है। चार खिलाडि़यों ने खुदकुशी का प्रयास किया, जिसमें से एक की मौत हो गई है।
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की सपा सरकार को घोटालों की सरकार करार देते हुए बुधवार को कहा कि नया घोटाला बिजली उपभोक्ताओं से निर्धारित दर से अधिक वसूली के रूप में सामने आया है।
5 मई को लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में भारतीय जनता पार्टी सरकार ने आधिकारिक तौर पर माना कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस के परिवार के सदस्यों की 20 सालों तक कथित जासूसी की जांच वह नहीं करवाने जा रही है। गृहराज्यमंत्री हरिभाई पारथी भाई चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में यह भी माना कि नेताजी से संबंधित और कोई दस्तावेज सरकार सार्वजनिक नहीं करेगी।
अमेरिका में भारत के नए राजदूत अरूण कुमार सिंह ने अपने दस्तावेजों की प्रतियां विदेश मंत्रालय के चीफ ऑफ प्रोटोकॉल के कार्यालय में पेश करने के बाद औपचारिक तौर पर अपना पदभार संभाल लिया।
केंद्र की मोदी सरकार अगर कारोबार को बढ़ावा देने के नाम पर श्रम कानूनों में बदलाव के अपने एजेंडे पर अड़ी रहती है तो देश की मजदूर यूनियनें इसके खिलाफ हड़ताल पर जाने से नहीं हिचकेंगी। इसमें भाजपा से जुड़ी श्रमिक यूनियनें भी शामिल होंगी। इस बारे में कोई भी फैसला 26 मई को लिए जाने की उम्मीद है।
नेपाल में भारतीय मीडिया के खिलाफ आक्रोश तेजी से फैलता जा रहा है। नेपाल में आए भीषण भूकंप के बाद वहां पर कवरेज के लिए गए भारतीय मीडिया के रवैये ने एक बड़े हिस्से को बेहद नाराज किया है। यह नाराजगी बाकायदा ट्विटर पर एक अभियान के रूप में सामने आई जिसके तहत एक अकाउंट खोला गया-गो बैक इंडियन मीडिया-और यह कुछ ही घंटों में वायरल हो गया।
अस्पृश्यता यानी छूआछूत उन्मूलन के 65 साल बाद भी हर चार भारतीयों में एक अपने घरों में किसी न किसी रूप में छूआछूत का पालन करता है। चौंकाने वाला यह तथ्य एक अखिल भारतीय सर्वेक्षण में सामने आया है जिसे यहां दलित बुद्धिजीवियों, लेखकों एवं विद्वानों की एक सम्मेलन में पेश किया गया।