साहित्य अकादेमी स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में प्रस्तुत ‘प्राचीन भारतीय साहित्य में प्रेम और प्रार्थना’ विषयक व्याख्यान में कवि-भाषाविद् एवं अकादेमी के महत्तर सदस्य सीताकांत महापात्र ने पूर्वोत्तर भारत के छः आदिवासी भाषा समूह - संथाल, उराव, मुंडा, कोंड आदि के आधार पर कहा कि प्रतीकों से सजी सबसे बेहतर भाषा इनके गीतों में देखी जा सकती है। कहा कि भोजपुरी के बाद सबसे प्रचलित भाषा मैथिली का मूल मुंडा भाषा में निहित है।