Advertisement

Search Result : " Amitabh Bachchan inspirational journey in hindi film industry"

शुरुआत से समापन तक फीका रहा विश्व हिंदी सम्मेलन

शुरुआत से समापन तक फीका रहा विश्व हिंदी सम्मेलन

विवादों के बीच भोपाल में शुरू हुआ 10वां विश्व हिंदी सम्मेलन बगैर कोई छाप छोड़े समाप्त हो गया। पूरे कार्यक्रम के आयोजन में इसके उद्घाटन और समापन पर ही आयोजकों का सारा फोकस था। पर उसके बावजूद कार्यक्रम पूरी तरह से अपने उद्देश्यों से दिशाहीन होकर समाप्त हो गया। विवादों का ही असर हुआ जिसके चलते सदी के महानायक अमिताभ बच्चन इसके समापन समारोह में अपने पहले से तय कार्यक्रम के बावजूद नहीं आए।
वीके सिंह का विवादित बयान, लेखकों ने की कड़ी भर्त्सना

वीके सिंह का विवादित बयान, लेखकों ने की कड़ी भर्त्सना

भोपाल में शुरू होने वाले 10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन शुरुआत से पहले ही जमकर विरोध में साहित्यकारों की जमात हो रही है।। एक दिन पहले केन्द्रीय मंत्री वी.के. सिंह के विवादास्पद बयान ने हंगामा खड़ा कर दिया है।
हिंदी पखवाड़ाः हिंदी में मोज़िला के योगदान की मीडिया समीक्षा

हिंदी पखवाड़ाः हिंदी में मोज़िला के योगदान की मीडिया समीक्षा

हिंदी पखबाड़ा के अवसर पर आयोजित मोज़िला हिंदी कार्यशाला और समीक्षा बैठक एक प्रासंगिक आयोजन रहा। मोज़िला फ़ायरफ़ॉक्स हिंदी कार्यशाला एवं समीक्षा बैठक का आयोजन मोजिला की ओर 5-6 सितंबर को दिल्ली में किया गया। इस सम्मेलन में भारत के विभिन्न शहरों से लोग आए और कार्यक्रम में शिरकत की। सूचना-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम कर रहे करीब 25 जाने-माने लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित थे। इस कार्यक्रम की मेजबानी सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसायटी, दिल्ली ने की।
वेनिस फिल्मोत्सव में प्यासा

वेनिस फिल्मोत्सव में प्यासा

हिंदी फिल्म जगत के महान कलाकार गुरूदत्त, वहीदा रहमान और माला सिन्हा की अदाकारी से सजी कालजयी फिल्म प्यासा को अगले महीने होने वाले वेनिस फिल्मोत्सव के लिए फिर से इसके मूल स्वरूप में ढाला गया है।
चिरंजीवी की षष्ठीपूर्ति

चिरंजीवी की षष्ठीपूर्ति

साठवां जन्मदिन किसी के लिए भी मायने रखता है। और फिर यह जन्मदिन दक्षिण भारत के सुपरस्टार चिरंजीवी का हो तो बात खास हो ही जाती है।
जब पुलिस इस पत्रकार को बालों से नोचती हुई ले गई

जब पुलिस इस पत्रकार को बालों से नोचती हुई ले गई

कैमरे पर सच दिखाने की हिमाकत का नतीजा यह रहा कि कोलकाता पुलिस गौतम कुमार विश्वास को बालों से नोचती हुई घसीट कर ले गई। उन्हें जहां चाहा मारा। लातें, घूसे सब। गौतम कोलकाता के फ्रीलांस पत्रकार हैं, जो पुलिस और प्रशासन की पोल खोलती फिल्में बनाते हैं। जान की परवाह किए बिना भ्रष्ट तंत्र से टकराने वाले गौतम के महीने के आधे से ज्यादा दिन अदालतों में जाते हैं। उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा वकीलों को जा रहा है लेकिन फिर भी गौतम इस घुन लगी व्यवस्था के आगे न झुकते हुए बखूबी अपना काम कर रहे हैं।
ऑल इज वेल में वेल खोजिए

ऑल इज वेल में वेल खोजिए

भारत एक गरीब देश है जैसे निबंध रटने वाले बच्चों को अब यह बताना होगा कि भारत गरीब नहीं रह गया है। कारण? बॉलीवुड पर नजर डाल लें तो पता चलेगा कि भारत में इतना अनाप-शनाप पैसा हो गया है कि ‘ऑल इज वेल’ जैसी फिल्म बनाई जा सकती है।
Advertisement
Advertisement
Advertisement