प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान करते वक्त जो मकसद बताए थे, वे रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट में खारिज होते दिखते हैं। अगर सरकार हकीकत को स्वीकार किए बगैर अपने तर्क देती रही तो अच्छे दिन की ओर बढ़ना आसान नहीं होगा।
पिछले कुछ समय से सरकार जाने-अनजाने जिस तरह नए नियम-कायदे और प्रक्रियाओं का दायरा बढ़ा रही है, नई-नई बंदिशें लगा रही है, वह उदारीकरण के दौर से यू-टर्न जैसा दिखता है।