संभावित समझौते की अटकलों के बीच जर्मनी की प्रमुख दवा कंपनी बायर ने आज कहा कि वह अमेरिकी कृषि कंपनी मोनसेंटो का अधिग्रहण करने के लिए वार्ता की प्रक्रिया में है।
मोनसेंटो ने धमकी दी कि अगर रॉयल्टी कम की गई तो वह भारत से अपना कारोबार समेट लेगी। दूसरी ओर कृषि वैज्ञानिकों ने इस रवैये का कड़ा विरोध किया है और वैकल्पिक खेती और देसी बीज कंपनियों को बढ़ावा देने की बात कही।
किसानों की आत्महत्या के लिए कुख्यात महाराष्ट्र का विदर्भ अब देश का सबसे बड़ा बीज उत्पादन केंद्र बनने जा रहा है। मोनसेंटो और पेप्सी वहां बीज उत्पादन के लिए कंपनी लगाने वाली हैं।
केंद्र ने कपास के बीज के दामों पर नियंत्रण रखने का फैसला किया है। इसके लिए मार्च, 2016 से आनुवांशिक परिवर्तन से तैयार कपास (बीटी कपास) सहित कपास की अन्य किस्मों के बीजों का अधिकतम बिक्री मूल्य यानी एमआरपी सरकार तय करेगी। यह कदम मोनसैंटो जैसी वैश्विक हाइब्रिड बीज कंपनी के लिए बड़ा झटका मना जा रहा है।
वह उम्र के उस पड़ाव में हैं, जहां कांपते हाथों के साथ लड़खड़ाती जुबान से लोग अपने बीते दिनों की उपलब्धियों को गिनते-गिनवाते हैं लेकिन उनका मामला अलग है। वह खुद ही पूछते हैं, बताओ मेरी उम्र कितनी है, फिर मेरे मौन को मेरी दुविधा समझकर खुद ही जवाब देते हैं, 86 साल। नहीं लगता न, अगर ये पार्किंसंस (हाथों-पैरों के स्वत: हिलने की बीमारी) न परेशान करता तो शायद बिल्कुल भी न लगता। पुष्प मित्र भार्गव (पी.एम.भार्गव) देश के आला वैज्ञानिक, बायोलॉजिस्ट हैं। उन्हें इस बात की फिक्र है कि अगर देश में जीन संवद्धित (जीएम) फसलों को मंजूरी मिल गई तो इससे किस तरह न सिर्फ पर्यावरण, खेती को नुकसान होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को नुकसान होगा।