बढ़ते प्रदूषण से न केवल स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि खूबसूरती पर भी असर पड़ता है। इससे त्वचा खराब हो जाती है। उसपर खारिश, समय से पहले बुढ़ापा, झुर्रियां और लचीलेपन में कमी, काले दाग धब्बे देखने में आते है।
ताउम्र ‘खूबसूरत‘ बने रहने की चाहत भला किस महिला को नहीं होती और यह खूबसूरती लोगों को इतनी भाती है कि इस सुंदरता पर न जाने कितने शायरों व कवियों ने किताबें लिख डाली है। भले ही कोई कितना भी खूबसूरत क्यों न हो, समय के साथ खूबसूरती भी ढ़लती है। जब भी शीशे में शरीर पर उम्र ढ़लने के लक्षण नज़र आने लगते है तो चेहरे पर एक अजीब सी चिंता उभर आती है। सभी खूबसूरत, खुशहाल, सम्मानित और बेहद संजीदातरी केसे अपनी जिंदगी जीना चाहते है।
आंतरिक स्वास्थ्य और बाहरी सौंदर्य एक सिक्के के दो पहलू हैं। आंतरिक स्वास्थ्य का प्रभाव शरीर की त्वचा और बालों पर साफ तौर पर देखा जा सकता है। निखरी त्वचा और घने चमकीले बाल अच्छे आंतरिक सौंदर्य का सूचक होते हैं। शरीर को आवश्यक पोषक तत्व पहुंचाने का सरल तरीका है ताजा फल और सब्जियां। वे हमें विटामिन, मिनरल, एंजाईंम देते हैं।
बुडापेस्ट में कोई भी पर्यटक जीवन भर का सौंदर्य बोध पा लेते हैं। यह ऐसा शहर है जो अपनी प्राचीन पहचान और नएपन को साथ ले कर चलता है। बुडापेस्ट की खूबसूरती सभी को बांधती है। इस खूबसूरत शहर गए फिल्मकार और भारतीय सांस्कृतिक परिषद की क्षेत्रीय सलाहकार समिति, पटना के सदस्य और मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली के संचालन समिति के सदस्य ने कैसे इस शहर को देखा उन्हीं की नजर से।