ट्रांसजेंडरों का सवालः जननांग वालों के ही होते हैं हक?
अभी तक वे अधिकार जो समानता देते हैं और मानवाधिकारों को महफूज करते हैं वे महिलाओं और पुरुषों के लिए हैं। उनमें ट्रांसजेंडर कम शामिल हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की नालसा जजमेंट के तहत इनके अधिकार परिभाषित किए गए थे लेकिन इनके अनुसार सब कागजों में हैं। वर्ष 2014 में ट्रांसजेंडर्स के अधिकार सुनिश्चित करता एक निजी बिल भी राज्यसभा में पेश किया था। यह बिल डीएमके के राज्यसभा सदस्य तिरुचि सिवा ने पेश किया था। राज्यसभा ने इसे पारित भी कर दिया था। अब यह बिल लोकसभा में पेश होना है लेकिन ट्रांसजेंडर समुदाय इसके खिलाफ है। कर्नाटक ट्रांसजेंडर समिति के बैनर तले इस बिल के मौजूदा रूप की मुखालफत हो रही है।