क्यूबा के दिवंगत नेता फिदेल कास्त्रो को श्रद्धांजलि देते हुए भारत ने कहा कि बाहरी दबाव के बावजूद उनके नेतृत्व में क्यूबा ने शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता हासिल की और ग्लोबल साउथ (तीसरी दुनिया) के लिए हवाना के संघर्ष ने उसे और कैरेबियाई द्वीप देश को एक साथ ला दिया।
छोटे से क्यूबा को शक्तिशाली पूंजीवादी अमेरिका के पैर का कांटा बनाने वाले गुरिल्ला क्रांतिकारी एवं कम्युनिस्ट नेता फिदेल कास्त्रो का आज निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाकपा महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने कास्त्रो के निधन पर शोक जताया है।
फिदेल कास्त्रो ने 1983 के गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में इंदिरा गांधी से गले मिलकर उनका अभिवादन किया था जो उनके भारत के साथ प्रगाढ़ संबंधों को प्रदर्शित करता था। भारत इस विख्यात जूझारू नेता को सदैव अपने एक बड़े मित्र के रूप में देखता रहा है।
लगभग 49 साल तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति रहे क्रांतिकारी फिदेल कास्त्रो ने 90 साल के हो गए हैं। उनके जन्मदिन पर क्यूबा में जगह-जगह पर लोग जश्न मान रहे हैं। कास्त्रो ने लोगों की शुभकामनाओं के लिए उनका आभार प्रकट किया और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की आलोचना की।
दुनिया बदल रही है। दस वर्ष पहले किसने कल्पना की होगी कि हवाना की वायु सीमा में अमेरिकी राष्ट्रपति का विमान उड़ सकता है? किसने सोचा होगा कि इस्लामी साम्राज्य के नाम पर होने वाले अंतरराष्ट्रीय युद्ध में ईरान जैसा कट्टरपंथी देश अपने दशकों पुराने दुश्मन अमेरिका और उसके सहयोगी यूरोपीय देशों के साथ खड़ा दिखाई देगा?
अमेरिकी देशों के एक ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और क्यूबा के राष्ट्रपति राउल कास्त्रो एक साथ खड़े दिखे। इस वर्षों पुरानी दुश्मनी को खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया जा रहा है।