एक फैशन शो कार्यक्रम में विधवा महिलाओं ने रैंप पर चलकर उन तमाम बेड़ियों को तोड़ने के संकेत दे दिए जो परंपराओं के नाम पर बरसों से उनके पैरों को जकड़े हुए हैं। इस फैशन शो का आयोजन गैर सरकारी संस्था सुलभ इंटरनेशन ने खास तौर से विधवा महिलाओं के लिए ही किया था।
मोदी सरकार ने वन रैंक वन पेंशन की मांग मान ली है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शनिवार को प्रैसवार्ता में इस बात का एलान किया है। इसे एक जुलाई, 2014 से लागू किया जाएगा और इसमें स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने वाले सैनिकों को शामिल नहीं किया गया है।
अगर आजादी का मतलब विदेशी हुकूमत से आजादी है तो वह यकीनन हमने हासिल कर ली। लेकिन सवाल यह है कि क्या महिलाओं को परंपराओं-मान्यताओं की जकड़न से आजादी मिली ? या पुराने पड़ चुके कानूनों ने उन्हें दूसरे तरह की जकड़न में बांध दिया है, आजाद हिंदुस्तान के कानूनों की बेड़ियां ?