मास्को की मुलाकात कोई औपचारिक इंटरव्यू नहीं थी। न ही यह लुक-छिपकर की गई कोई भेंट थी। बढ़िया बात यह थी कि हमारा मिलना किसी सतर्क, कूटनीतिक, औपचारिक एडवर्ड स्नोडेन से नहीं हुआ। अफसोस की बात यह है कि कमरा नंबर 1001 में हुए मजाकों, हास्य और मसखरेपन को उसी तरह व्यक्त नहीं किया जा सकता।
कुछ वर्ष पहले विवादों में रहने वाले एडवर्ड स्नोडन भी अब सोशल मीडिया की दुनिया में आ गए हैं। उन्होंने टि्वटर पर अपना अकाउंट खोला है। स्नोडन वही शख्स हैं जिनके कुछ अहम खुलासों ने अमेरिका को हिला कर रख दिया था।
87 वें ऑस्कर पुरस्कारों का इंतजार खत्म हो गया। अच्छी, सबसे अच्छी और श्रेष्ठ फिल्मों के बीच की खूबियां पता चल गईं। इस बार किसी एक फिल्म की धूम नहीं रही और भारत के हाथ फिर निराशा हाथ लगी। विदेशी भाषा फिल्म की श्रेणी में भारत की फिल्म कोई जगह नहीं बना पाई। भारत ने इस बार लायर्स डाइस फिल्म इस श्रेणी के लिए भेजी थी