सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ में तीन तलाके मुद्दे पर सुनवाई आरंभ हो गई है। अदालत ने आरंभ में ही साफ कर दिया है कि सुनवाई इस बात पर होगी कि क्या तीन तलाक इस्लाम का मूल हिस्सा है? क्या तीन तलाक लागू किए जाने योग्य मौलिक अधिकार का हिस्सा है और क्या तीन तलाक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है?
सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि वह मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक, तलाक हलाला और बहुविवाह की परंपरा कानूनी पहलू से जुड़े मुद्दों पर ही विचार करेगा। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह इस सवाल पर विचार नहीं करेगा कि क्या मुस्लिम पर्सनल ला के तहत तलाक की अदालतों को निगरानी करनी चाहिए क्योंकि यह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है।
केंद्र सरकार महिला अधिकारों के आधार पर एक साथ तीन तलाक की व्यवस्था का उच्चतम न्यायालय में विरोध करेगी और इस बात पर जोर देगी कि इस मुद्दे को समान आचार संहिता के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।