सचिव अजय शिर्के ने समिति से निर्देश मांगे थे कि क्या उन्हें ईसीबी से अपने भुगतान करने के लिये बोल देना चाहिए क्योंकि बीसीसीआई वित्तीय लेनदेन नहीं कर सकता क्योंकि द्विपक्षीय श्रृंखला के दौरान दौरा करने वाली टीम के लिये भुगतान और सारे इंतजामात घरेलू बोर्ड द्वारा ही किये जाते हैं।
इसके जवाब में लोढा पैनल ने कहा, बीसीसीआई और ईसीबी के बीच प्रस्तावित समझौता पत्र द्विपक्षीय क्रिकेट नीति से संबंधित है, जो समिति के आदेश का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। जहां तक भुगतान का संबंध है, अगर ये बीसीसीआई द्वारा सीधे दिये जाते हैं तो इस समिति द्वारा तब तक कोई निर्देश नहीं दिये जा सकते हैं, जब तक बीसीसीआई द्वारा मामले से संबंधित जानकारी मुहैया नहीं करायी जाती।
पैनल सचिव गोपाल शंकरनारायण द्वारा लिखे गये ईमेल में कहा गया, क्रिकेट कैलेंडर में किसी भी बाधा से बचने के लिये और खेल के प्रेमियों का लुत्फ उठाना सुनिश्चित करने के लिये बीसीसीआई को सलाह दी जाती है कि वह उच्चतम न्यायालय के 18 जुलाई 2016, सात अक्तूबर 2016 और 21 अक्तूबर 2016 के आदेश में दिये गये निर्देशों का पालन करे।
पैनल ने अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और शिर्के को भेजे गये अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया कि विक्रेताओं और ठेकेदारों की न तो पहचान करना और न ही उनकी नियुक्ति समिति के काम या गतिविधियों में शामिल हैं लेकिन उनको एक अंतिम सीमा निर्धारित करनी होगी। लोढा पैनल ने बीसीसीआई को यह भी निर्देश दिया कि वह स्वतंत्र ऑडिटर की नियुक्ति और आठ नवंबर तक आईपीएल की निविदा दिये जाने के संबंध में सभी जरूरी सूचना दे।
समिति ने फिर से बीसीसीआई प्रमुख ठाकुर को बीसीसीआई की ओर से 21 अक्तूबर 2016 को दिये गये उच्चतम न्यायालय के आदेश का औपचारिकता से पालन करने के लिये अप्रमाणित हलफनामा देने की बात याद दिलायी।
शिर्के अंतरराष्ट्रीय और घरेलू सत्र, आईपीएल 2017 के लिये विक्रेताओं की नियुक्ति के लिये निर्देश चाहते थे।
भाषा