भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी ने टेस्ट क्रिकेट को खेल का सबसे पसंदीदा प्रारूप बताया, क्योंकि इसमें क्रिकेट की तीव्रता शामिल है। शमी इंस्टाग्राम के लाइव सत्र में पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान के साथ शामिल हुए, जहां दोनों ने कई विषयों पर चर्चा की। इसके अलावा मोहम्मद शमी ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने बताया कि वे घुटने में फ्रेक्चर के बावजूद ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में हुए 2015 वनडे वर्ल्ड कप में खेले थे।
टेस्ट को बताया पसंदीदा प्रारूप
कोरोना वायरस की वजह से इन दिनों खेल गतिविधियां बंद है। इसके चलते भारतीय क्रिकेटर्स सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा एक्टिव हैं। इसी कड़ी में मोहम्मद शमी ने इरफान पठान के साथ इस बातचीत के दौरान कई खुलासे किए। इस बातचीत में जब इरफान पठान ने शमी को एक प्रारूप चुनने के लिए कहा, तो भारतीय तेज गेंदबाज ने टी-20 को मनोरंजक प्रारूप के रूप में चुना, जबकि उन्होंने खेल के सबसे लंबे प्रारूप को अपना पसंदीदा प्रारूप बताया। उन्होंने कहा, "मनोरंजन के उद्देश्य से मैं टी-20 को चुनना चाहूंगा लेकिन खेल की तीव्रता के लिए मैं टेस्ट क्रिकेट खेलना चाहूंगा।"
हैट्रिक की यादें की ताजा
2019 में अफगानिस्तान के खिलाफ विश्व कप हैट्रिक लेने की अपनी यादों को याद करते हुए, शमी ने कहा कि वह उस समय केवल विकेटों के बारे में सोच रहे थे। शमी ने कहा, मैं केवल तीन स्टंप के बारे में सोच रहा था। मैं स्पष्ट था कि मैं 140 किमी प्रति घंटे से ऊपर की गेंदबाजी करूंगा। मेरी योजना लगातार गेंद पर दो विकेट लेने के बाद यॉर्कर करने की थी और माही भाई (एमएस धोनी) ने भी यही सुझाव दिया था और फिर मुझे हैट्रिक मिली।
रोज घुटने से निकलता था फ्लूड निकलता
ऐसे में मोहम्मद शमी ने कहा, वर्ल्ड कप से पहले मेरे पैर में फ्रेक्चर हो गया था। फिजियो नितिन पटेल ने कहा- या तो घर लौट जाओ या पेन किलर लेकर दर्द सहन करते हुए खेलो। मैंने वर्ल्ड कप में खेलने का फैसला किया। इसके बाद मुझे पहले ही मैच में चोट लगी और मेरे घुटने और जांघ का साइज एक समान हो गया था। शमी ने कहा, हर रोज मेरे घुटने से 40-50 मिलीलीटर फ्लूड निकलता था। मैं 3 पेन किलर लेकर मैच खेलता था और मैच के बाद मैं ठीक से चल भी नहीं पाता था। मैं नितिन पटेल के विश्वास की वजह से वर्ल्ड कप खेल पाया था।
धोनी और टीम प्रबंधन ने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया
मोहम्मद शमी ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल से पहले उनके घुटने की हालत बहुत खराब हो गई थी। उन्होंने कहा, मैंने साथियों से कह दिया था कि मैं यह मैच नहीं खेल पाऊंगा लेकिन महेंद्र सिंह धोनी और टीम प्रबंधन ने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया। उन्होंने कहा कि यह सेमीफाइनल मैच है और टीम नए गेंदबाज के साथ नहीं खेल सकती हैं। मैंने शुरुआती 5 ओवरों में मात्र 13 रन दिए थे। मेरी हालत खराब हो रही थी और मैंने इंजेक्शन भी लगवाया था, इसके बाद मैंने माही भाई से कहा कि मैं अब मैच में गेंदबाजी नहीं कर पाऊंगा। इस पर माही भाई बोले- मुझे तुझ पर भरोसा है, कोई पार्टटाइम गेंदबाज भी रन लुटाएगा। तुम 60 रन से ज्यादा मत देना। मैं इतनी खराब हालत में कभी खेला नहीं था मुझे लगा कि मेरा करिअर खत्म हो जाएगा लेकिन भगवान का शुक्रिया कि मैं अभी फिट हूं।