जनवरी 2019 में यूएई में खेले गये एशियन कप के बाद स्टीफन कॉन्स्टेंटाइन ने भारतीय फुटबॉल टीम के कोच पद को छोड़ दिया था और उसके बाद से ही भारतीय टीम के पास कोई कोच नही है। हालाकिं इसके बाद सभी को यह उम्मीद रही होगी कि अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) इस रिक्त पद के लिए तुरंत विज्ञापन देगा लेकिन आईएएनएस न्यूज एजेंसी के अनुसार अभी तक महासंघ की ओर से ऐसा कोई भी प्रयास नहीं किया गया है।
होने वाले हैं कईं बड़े मैच
18 मार्च से राष्ट्रीय टीमें अंतरराष्ट्रीय दोस्ताना मैच खेलने के लिए तेयार हैं जो कि 26 मार्च तक खेले जाने है। इसके बाद ये दोस्ताना मैच 3 जून से 11 जून तक फिर से खेले जायेंगे। इसके अलावा, फीफा अंतरराष्ट्रीय दोस्ताना मैच, विश्व कप और एशियाई कप संयुक्त क्वालीफायर क्रमश: 2 से 10 सितंबर तक, 7 से 15 अक्टूबर और 11 से 19 नवंबर तक खेले जाने हैं।
इतने बड़े और व्यस्त कैलेंडर के बावजूद, फेडरेशन के द्वारा नये कोच की न्यूक्ति करने की ना तो कोई पहल और ना ही कोई कोशिश की जा रही है। वहीं अगर बात करे कॉन्स्टेंटाइन की तो वे एक ऐसे कोच थे जिन्होने भारतीय फुटबॉल को बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर रैंकिंग में काफी सुधार किया और साथ ही साथ टीम को नई ऊंचाइयों पर भी ले गये। दिलचस्प बात यह है कि कोच के चयन की प्रक्रिया विज्ञापन के बाद ही शुरू होती है। हालाकि उम्मीद ये की जा रही है कि एआईएफएफ शुरू में कुछ संभावित उम्मीदवारो की सूची तैयार कर रहा है, लेकिन अंतिम फैसला एआईएफएफ की तकनीकी समिति द्वारा लिया जाना है।
श्याम थापा ने किये कईं खुलासे
इसके उलट आईएएनएस से बात करते हुए, तकनीकी समिति के अध्यक्ष श्याम थापा ने न केवल इस बात की पुष्टि की, कि अगले कोच को नियुक्त करने की ऐसी कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, बल्कि यह भी कहा कि भारतीय कोच के विचार पर समिति की सलाह भी नहीं ली जाती है।
उन्होने यह खुलासा करते हुए बताया कि भारतीय कोचों के लिए, एआईएफएफ स्वयं ही इन मुद्दो को सुलझा लेता है। भारतीय कोचों के लिए जैसे कि अंडर-15 या फिर अंडर-19 आदि की बात करें तो वे बामुश्किल ही हमसे पूछते या राय लेते हैं। वे इसे अपने आप ही तय करते हैं। हां, केवल विदेशी कोच के मामले में, वरिष्ठ टीम के लिए या जूनियर टीम के लिए एआईएफएफ तकनीकी समिति की सलाह लेते हैं।
थापा ने कुछ और भी खुलासे किये जो भारतीय फुटबॉल के लिए बिल्कुल अच्छे नहीं है। उन्होने कहा कि ऐसे केवल तीन या चार ही लोग होते हैं जो विदेशी कोचों की जानकारी जैसे कि उनकी उम्र, पृष्ठभूमि, उपलब्धि आदि के बारे में चर्चा करते हैं। मुझे नहीं पता कि यह प्रक्रिया कैसे काम करती है क्योंकि वे भारतीय कोचो के मामले में हमसे परामर्श करना जरूरी नहीं समझते हैं। हां केवल विदेशी कोचों के लिए वे हमसे सलाह लेते हैं, लेकिन वह भी तीन या चार कोचों को शॉर्टलिस्ट करने के बाद। एआईएफएफ दो या तीन नामों के साथ आएगा और उनकी साख पर चर्चा करेगा तथा अंतिम रूप भी दे देगा। हमारे पास तो फाइनल किये गये कोचों के बायोडाटा भी नहीं होते हैं।
मीटिंग मे करा विरोध
हालाकि थापा ने पिछली बैठक में इस बात पर विरोध जताया और कहा था कि यह प्रक्रिया आगे काम नहीं कर सकती है। उन्होने कहा कि पिछली बैठक में, मैंने उन्हें सभी सदस्यों को फाइनल किये गये कोचों के बायोडाटा भेजने को कहा और एआईएफएफ भी इसके लिए सहमत हो गया व प्रक्रिया भी यही होनी चाहिए। जब तक कि तकनीकी समिति के सदस्यों को कोचों की पूरी जानकारी ना मिल जाए तब तक हम कैसे इस मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं।