राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। इस साल भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और वेटलिफ्टर मीराबाई चानू को इस सम्मान से नवाजा जाएगा। इससे पहले इस सम्मान के लिए रेसलर बजरंग पुनिया का भी नाम लिया जा रहा था, लेकिन उन्हें इसके लिए नहीं चुना गया। इस सिलसिले में पुनिया ने खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से मुलाकात की। पुनिया का कहना है कि उन्हें आश्वासन मिला है कि उसके मामले को विचार किया जाएगा।
पुनिया ने न्यूज एजेंसी पीटीआइ को बताया, “शुक्रवार को मेरी मुलाकात खेल मंत्री से होने वाली थी, लेकिन अचानक गुरुवार शाम को उनसे भेंट के लिए फोन आया। मैंने उनसे खेल रत्न के लिए मेरे नाम पर विचार न किए जाने का कारण पूछा, तो उन्होंने कहा मेरे पास पर्याप्त अंक नहीं थे। यह गलत है। मैंने दोनों (विराट कोहली और मीराबाई चानू) से ज्यादा अंक हासिल किया है।”
कोहली और चानू से ज्यादा अंक फिर भी नाम नहीं
प्वाइंट सिस्टम के आधार पर विजेता के नाम की घोषणा की बात कही जा रही है, लेकिन इसमें विराट कोहली को '0' पॉइंट्स मिले थे। जबकि मीराबाई चानू को 44 पॉइंट्स मिले थे। आखिरकार 11 सदस्यों की चयन समिति ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार उन्हें देने की घोषणा की गई। दरअसल, कोहली के परफॉर्मेंस शीट में कोई पॉइंट्स नहीं थे। इसकी वजह है कि क्रिकेट के लिए कोई मानदंड तय नहीं किए गए हैं। पहलवान बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट (80-80 पॉइंट्स) ने अपनी उपलब्धियों के आधार पर सबसे ज्यादा प्वाइंट्स अर्जित किए थे।
खटखटाएंगे अदालत का दरवाजा
कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले 24 वर्षीय पहलवान ने कहा कि अगर शुक्रवार शाम तक उनके अनुकूल जवाब नहीं मिला, तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
खेल मंत्री से मुलाकात के दौरान बजरंग के मेंटर और ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त भी थे। बजरंग ने कहा, “मेरे साथ गलत हुआ है। मंत्रीजी ने कहा कि वह इस मामले को देखेंगे, लेकिन अवार्ड समारोह के लिए बहुत ही कम समय बचा है। मैं शाम तक सरकार की तरफ से इस पर जवाब का इंतजार करूंगा। अगर अनुकूल जवाब नहीं मिला तो कल मामले को कोर्ट में ले जाऊंगा।”
गोल्ड कोस्ट और जकार्ता में गोल्ड मेडल जीतने के अलावा 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीत चुके हैं। 2013 के वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। लेकिन प्वाइंट सिस्टम के लिए इसे शामिल नहीं किया गया, क्योंकि इसकी शुरुआत 2014 से की गई।
अवार्ड मिलना लगभग नामुमकिन
खेल मंत्रालय के एक सूत्र का कहना है कि इस सूची में अंतिम मिनट में नया नाम जोड़ना असंभव है। सूत्र का कहना है, “मंत्री जी ने बजरंग से मुलाकात की और वह उनकी समस्या जानने चाहते थे। उन्होंने बजरंग को बताया कि आखिर क्यों उसके नाम पर विचार नहीं किया गया। हालांकि, उन्होंने इस मामले को देखने का आश्वासन दिया है, लेकिन सूची में किसी भी तरह का बदलाव नामुमकिन है।”
बता दें कि राष्ट्रीय खेल पुरस्कार इस साल 25 सितंबर को दिए जाएंगे।