जिस खिलाड़ी ने भारतीय क्रिकेट को नई पहचान दी, आज वह 46 साल का हो गया है- सचिन रमेश तेंदुलकर। क्रिकेट को धर्म और सचिन को उसका भगवान बताने वाले करोड़ों फैंस के लिए आज का दिन किसी त्योहार से कम नहीं। 24 अप्रैल 1973 को मुंबई में जन्में सचिन का जन्म दिन में एक बजे मुंबई के शिवाजी पार्क राणाडे रोड स्थित निर्मल नर्सिंग होम में हुआ था।
भारत रत्न पाने वाले 43वें भारतीय
जब भी सचिन के बारे में बात होती है तो उनके खेल, रिकॉर्ड का ही जिक्र होता है। अपने रनों के अलावा, मास्टर ब्लास्टर अपने 24 साल के करिअर में भारत की दिल की धड़कन भी बन गए हैं। सचिन को देश के सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा गया है, इस सम्मान को पाने वाले वे 43वें भारतीय हैं।
यह हैं,तेंदुलकर के करिअर के दस अविस्मरणीय क्षण:
1. 16 मार्च, 2012: तेंदुलकर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना 100 वां शतक बनाया।
2. 2 अप्रैल, 2011: 'क्रिकेट के भगवान' ने आखिरकार विश्व कप जीता, वह भी अपने घरेलू दर्शकों के सामने।
3. 24 फरवरी, 2010: मास्टर ब्लास्टर वनडे में दोहरा शतक बनाने वाले पहले खिलाड़ी बने।
4. 4 जुलाई 2002: तेंदुलकर ने संभवत: इंग्लैंड के खिलाफ पहला हेलीकॉप्टर शॉट खेला था, बाद में जिसे एमएस धोनी ने प्रसिद्ध बनाया।
5. 23 मई, 1999: विश्व कप में अपने पिता के निधन के बाद उन्होंने केन्या के खिलाफ भावनात्मक 140 रन बनाए।
6. 22 अप्रैल, 1998: शारजाह में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ बैक-टू-बैक शतक बनाए, जिसमें उस प्रसिद्ध 'डेजर्ट स्टोर्म' की पारी भी शामिल थी।
7. 27 मार्च, 1994: तेंदुलकर ने पहली सलामी बल्लेबाजी की और 49 गेंदों पर 82 रन बनाए।
8. 24 नवंबर, 1993: तेंदुलकर ने हीरो कप के सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना जादुई हाथ घुमाते हुए गेंदबाजी की और अंतिम ओवर में छह रन डिफेंड किये।
9. 14 अगस्त, 1990: उन्होंने अपने 100 अंतरराष्ट्रीय शतकों में से पहला का शतक बनाया। वह महज 17 वर्ष और 112 दिन के थे।
10. 15 नवंबर, 1989: उन्होंने कराची में पाकिस्तान के खिलाफ 16 वर्षीय के रूप में अंतरराष्ट्रीय करिअर की शुरुआत की।
16 नवंबर, 2013 को लिया था सन्यास
तेंदुलकर ने अपना 200वां टेस्ट मैच (वानखेड़े स्टेडियम में वेस्टइंडीज के खिलाफ) खेलने के बाद 16 नवंबर, 2013 को सभी प्रकार के क्रिकेट से संन्यास ले लिया। मास्टर ब्लास्टर जब आखिरी बार मैदान पर उतरे तो उन्होंने 22 यार्ड की उस पिच को झुककर सलाम किया। सचिन की विदाई स्पीच में कहे गए एक-एक शब्द ने लोगों के दिल को छुआ था। उन्होंने 664 अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच खेले, जिसमें 34,357 रन बनाए।
कई चोटों के बावजूद नही मानी हार
ऐसा नही की उनका करिअर यूहीं बिना किसी उतार चढ़ाव के चलता रहा, उनके 24 साल के करिअर में कई बाधाएं आई लेकिन उनका क्रिकेट के लिए जूनून ही था जिसने हमेशा उन्हे आगे बढ़ने की हिम्मत दी। क्रिकेट के ज्यादातर जानकार मानते हैं कि अपने करिअर में जितनी बार सचिन चोटिल हुए हैं, उतना चोटिल शायद ही कोई हुआ हो और इतनी चोटें लगने के बाद शायद ही कोई दूसरा क्रिकेटर इतने लंबे समय तक क्रिकेट खेलता। लेकिन उनके जुनून ने कभी भी किसी भी चोट को अपने खेल पर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने हर बार फिट होकर मैदान पर वापसी की और हर बार विपक्षी टीमों पर जमकर बरसे।
आऐ नजर डालते हैं सचिन के करिअर के दौरान लगी कुछ चोटों पर:
1999, पीठ दर्द
2001,टो इंजरी
2002,जांघ और हैम्स्ट्रिंग में चोट
2003, में टखने और उंगली में चोट
2004-05,में टेनिस एल्बो
2006, कंधे में चोट
2008, ग्रोइन इंजरी
इतनी चोटों के बाद भी उनके रिकार्ड को तोड़ना किसी के लिए भी आसान नही होगा और ना ही किसी का दोबारा सचिन जैसा बनना।