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प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कहा- निगरानी समिति अतीत की बात, हमें अदालत से न्याय की उम्मीद

प्रदर्शनकारी पहलवानों ने बुधवार को कहा कि उन्हें खेल मंत्रालय द्वारा गठित निगरानी समिति के...
प्रदर्शनकारी पहलवानों ने कहा- निगरानी समिति अतीत की बात, हमें अदालत से न्याय की उम्मीद

प्रदर्शनकारी पहलवानों ने बुधवार को कहा कि उन्हें खेल मंत्रालय द्वारा गठित निगरानी समिति के निष्कर्षों से अब कोई मतलब नहीं है और वे सिर्फ अदालत से न्याय की उम्मीद रखते हैं।

खेल मंत्रालय ने 23 जनवरी को महान मुक्केबाज एमसी मेरीकोम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय पैनल का गठन किया था और उसे महिला पहलवानों द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था।

समिति ने अप्रैल के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी लेकिन मंत्रालय ने अभी तक निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें निगरानी समिति के निष्कर्षों की जानकारी थी, 2018 जकार्ता एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट ने कहा, ‘‘यह अतीत की बात है। हम इस पर विचार नहीं कर रहे हैं या यह नहीं सोच रहे हैं कि समिति ने क्या किया है या क्या नहीं किया है। समिति की अवधि तीन महीने की थी…अब यह खत्म हो गया है और लड़ाई अदालत में चली गई है इसलिए हम उस पर ध्यान केंद्रित करेंगे।’’

विनेश, ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक सहित भारत के शीर्ष पहलवानों का विरोध प्रदर्शन 25वें दिन भी जारी है जो सात महिला पहलवानों का कथित रूप से यौन उत्पीड़न करने के आरोप में बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। बुधवार को पहलवानों और उनके समर्थकों ने जंतर-मंतर से बंगला साहिब गुरुद्वारे तक जुलूस निकाला और वहां प्रार्थना की।

विनेश ने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि हम न्याय की लड़ाई जीतेंगे। हम अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे जिससे कि ना केवल वैश्विक कुश्ती समुदाय को हमारी दुर्दशा के बारे में पता चले बल्कि हम अन्य खेलों के खिलाड़ियों तक भी पहुंचेंगे। कोई भी देश खेल में यौन उत्पीड़न की घटनाओं से अछूता नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि खाप पंचायत के वरिष्ठ नेताओं द्वारा 21 मई को लिया जाने वाला फैसला बृजभूषण के खिलाफ उनकी लड़ाई में महत्वपूर्ण होगा।

विनेश ने कहा, ‘‘हमारे बुजुर्ग 21 मई (बृजभूषण के खिलाफ ठोस कार्रवाई के लिए पहलवानों द्वारा निर्धारित समय सीमा) को जो भी फैसला लेंगे, वह हम पर बाध्यकारी होगा। वे हमारे भविष्य की रणनीति तय करेंगे।’’ उन्होंने उन लोगों की भी आलोचना की जो पहलवानों के आंदोलन को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह विरोध राजनीतिक दलों के लिए मंच नहीं है। देश का प्रत्येक नागरिक जंतर-मंतर पर आने के लिए स्वतंत्र है। हम पार्टी, धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव किए बिना विरोध स्थल पर सभी का स्वागत करते हैं।’’

पहलवान मंगलवार को भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद और सैकड़ों समर्थकों के साथ कनॉट प्लेस के पास हनुमान मंदिर गए थे।

मार्च के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप के पदक विजेता बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप करने और महिला पहलवानों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की अपील की थी। पहलवानों ने यह भी संकेत दिया था कि वे अपने आंदोलन को रामलीला मैदान में ले जाकर इसे ‘राष्ट्रीय आंदोलन’ बना सकते हैं।

 

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