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भारतीय टीम का एक ऐसा रिकॉर्ड जिसे अब कोई नहीं तोड़ पाएगा, जीते तीनों फोर्मेट के विश्वकप

केवल भारत ही एक ऐसी टीम है जिसके नाम क्रिकेट के तीनों फोर्मेट, 60 ओवर, 50 ओवर और टी-20 वर्ल्ड कप के चैंपियन का...
भारतीय टीम का एक ऐसा रिकॉर्ड जिसे अब कोई नहीं तोड़ पाएगा, जीते तीनों फोर्मेट के विश्वकप

केवल भारत ही एक ऐसी टीम है जिसके नाम क्रिकेट के तीनों फोर्मेट, 60 ओवर, 50 ओवर और टी-20 वर्ल्ड कप के चैंपियन का खिताब है। 80 के दशक तक वर्ल्ड कप 60 ओवरों का होता था और 90 के दशक से ये 50 ओवरों का होने लगा। इंडिया ने कपिल देव की अगुआई में 1983 में वर्ल्ड कप का खिताब अपने नाम किया था, जो 60 ओवर का था। इसके बाद 2011 में धोनी की कप्तानी में इंडिया ने वर्ल्ड कप जीता था, जो 50 ओवर का था। 2007 में टीम इंडिया ने टी-20 वर्ल्ड कप जीता था। यानी तीनों फार्मेट के वर्ल्ड कप इंडिया के पास हैं। चूंकि अब 60 ओवरों का मैच होता ही नहीं है, इसलिए कोई दूसरी टीम, भारत के इस रिकॉर्ड की बराबरी कर ही नहीं सकती।

1987 से विश्व क्रिकेट में शुरू हुए 50 ओवर

विश्वकप वनडे क्रिकेट की सबसे प्रतिष्ठित प्रतियोगिता है। हर चार साल पर होने वाली ये प्रतियोगिता वर्ष 1975 में इंग्लैंड से शुरू हुई थी। पहले यह प्रतियोगिता 60 ओवरों की होती थी। शुरुआती तीन विश्वकप 60 ओवरों के हुए थे। फिर 1987 से विश्व क्रिकेट में एक बड़ा बदलाव आया और वनडे में 60 की जगह खेल 50 ओवरों का कर दिया गया। पहले खिलाड़ी सफेद परिधान में होते थे, ले‌किन बाद में समय के साथ हर चीज रंगीन होती गई। खिलाड़ियों ने रंगीन परिधान पहनने शुरू किए, गेंद भी सफेद हो गई और अंपायर तक रंगीन पोशाक में नजर आने लगे। मैच दिन-रात के और 50-50 ओवरों के होने लगे।

1983 में जीता 60 ओवर का विश्वकप

पहले तीन विश्वकप इंग्लैंड में आयोजित हुए और तीन में से दो विश्वकप खिताब वेस्टइंडीज ने जीते। लेकिन 1983 का विश्वकप जीतकर भारत ने एक बड़ा उलटफेर किया। 1983 विश्वकप के फाइनल में वेस्टइंडीज की टीम क्या हारी, विश्व क्रिकेट में उसका वर्चस्व ही कम होने लगा। लगातार तीसरे वर्ष इंग्लैंड ने ही विश्वकप की मेजबानी की।

1983 का विश्वकप भारतीय टीम के लिए बहुत अहम साबित हुआ। कमजोर समझी जाने वाली भारतीय टीम ने दिग्गजों को धूल चटाई और पहली बार विश्वकप पर कब्जा किया। साथ ही, लगातार तीन बार विश्वकप का खिताब जीतने का वेस्टइंडीज का सपना चकनाचूर भी हो गया। वेस्टइंडीज पर भारत ने फाइनल में 43 रनों से हैरतअंगेज जीत दर्ज कर पहली बार वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया था।

2011 में जीता 50 ओवर का विश्वकप

फिर मौका था विश्वकप 2011 का, जब कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ फाइनल मुकाबले में खुद को नंबर पांच पर प्रमोट किया और ऐसी यादगार पारी खेली, जिसे लोग कभी नहीं भूल सकेंगे। धोनी ने उस महामुकाबले में 79 गेंदों में 91 रन बनाए थे। धोनी की इस पारी ने 28 साल बाद भारत को एक बार फिर विश्वकप की जीत का स्वाद चखाया। श्रीलंका की टीम पूरी तरह से तैयार तो थी, लेकिन न्यूजीलैंड ने क्वार्टर फाइनल में उसे जिस तरह की टक्कर दी थी, उससे वह थोड़ी घबराई हुई भी थी।

भारत ने फाइनल तक पहुंचने के लिए क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को पांच विकेट से हराया था, वही सेमीफाइनल में उसकी भिड़ंत चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान से हुई थी। फाइनल मुकाबला मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया था। जहां टॉस जीतकर श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी की और भारत को 275 रन का लक्ष्य दिया। महेला जयवर्द्धने ने उस मैच में सेंचुरी बनाई थी। भारत ने मैच छह विकेट से अपने नाम किया और इसी के साथ महेंद्र सिंह धोनी टी-20 और वनडे विश्वकप जीतने वाले विश्व के पहले कप्तान बन गए थे।

2007 में जीता टी-20 विश्वकप

पहले टी-20 विश्वकप का आयोजन वर्ष 2007 में दक्षिण अफ्रीका में हुआ था। इसमें कुल 12 टीमों ने हिस्सा लिया जिन्हें चार ग्रुप में बांटा गया था। चिर-प्रतिद्वंद्वी भारत और पाकिस्तान एक ही ग्रुप में थे। फाइनल मुकाबला भारत और पाकिस्तान के बीच जोहानेसबर्ग में खेला गया था। भारत ने ऑस्ट्रेलिया को शिकस्त देकर फाइनल में जगह बनाई थी। वहीं पाकिस्तान, न्यूजीलैंड को हराकर सेमीफाइनल में पहुंचा था।

24 सितंबर 2007 यानी भारतीय क्रिकेट इतिहास का एक सुनहरा दिन। इसी दिन भारतीय टीम ने पाकिस्तान को फाइनल में हराकर टी-20 विश्वकप का पहला संस्करण जीतने के कारनामे को अंजाम दिया था। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ओपनर बल्लेबाज गाौतम गंभीर ने क्रिकेट को अलविदा जरूर कह दिया लेकिन जब-जब टी-20 विश्वकप 2007 और 2011 विश्वकप फाइनल की बात होगी वो जरूर याद किए जाएंगे। 

इस विश्वकप में पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मुकाबले में गंभीर की पारी को शायद ही भूला जा सकता है। इस मैच में गंभीर ने भारतीय टीम की तरफ से सबसे ज्यादा 75 रन बनाए थे। गंभीर की इस शानदार पारी के दम पर टीम इंडिया ने पाकिस्तान के खिलाफ 20 ओवर में पांच विकेट पर 157 रन बनाए थे। गंभीर ने ये पारी सिर्फ 54 गेंदों पर आठ चौके और दो छक्कों की मदद से खेली थी। इस मैच में पाकिस्तान की टीम 19.3 ओवर में 152 रन पर ऑल आउट हो गई और भारतीय टीम ने खिताब जीता था। 

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