महान क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर का मानना है कि जसप्रीत बुमराह की अगुआई में भारतीय आक्रमण इस दौर का सबसे मुकम्मल और मजबूत है। लेकिन इसकी तुलना 2003 और 2011 के गेंदबाजों से नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन गेंदबाजों की तुलना इसी दौर के गेंदबाजों से होनी चाहिए। 1992 और 2011 के बीच छह विश्व कप खेल चुके तेंदुलकर ने कपिल देव, जवागल श्रीनाथ और जहीर खान की अगुआई वाले तेज आक्रमण को करीब से देखा है।
अलग-अलग दौर के खिलाड़ियों की तुलना बेमानी
उन्होंने कहा कि अलग-अलग दौर के खिलाड़ियों की तुलना बेमानी है, मुझे दो अलग-अलग दौर के खिलाड़ियों की तुलना पसंद नहीं है जब खेलने के नियम अलग थे और पिचें भी ऐसी नहीं थीं। उन्होंने कहा कि अब दो नई गेंद होती हैं और फील्डिंग की पाबंदियां भी हैं यानी 11वें से 40वें ओवर के बीच 30 गज के बाहर चार फील्डर और आखिरी दस ओवर में पांच होते हैं। ये तो ऐसा ही हुआ जैसे कि 100 मीटर के धावक अब नए नियमों के तहत 90 मीटर या 80 मीटर दौड़ रहे हों।
2003 और 2011 विश्व कप के गेंदबाजों की तारीफ की
तेंडुलकर ने कहा कि इस तरह की तुलना गेंदबाजों के लिए भी मुश्किल है क्योंकि उन्हे रिवर्स स्विंग नहीं मिलती। यदि आप मौजूदा भारतीय आक्रमण की तुलना करना चाहते हैं तो इस पीढ़ी के गेंदबाजों से ही करें। इस दौर में यह बहुत अच्छा आक्रमण है। उन्होंने कहा मैं 2003 और 2011 विश्व कप में हमारे गेंदबाजों के प्रदर्शन की भी तारीफ करूंगा। 2003 में श्रीनाथ, जहीर, नेहरा और हरभजन थे, जो हमें फाइनल तक ले गए। वहीं, 2011 में जहीर, नेहरा, हरभजन, मुनाफ पटेल और युवराज सिंह ने उम्दा गेंदबाजी की थी।
बुमराह के साथ-साथ की कुलदीप और चहल की भी प्रशंसा
तेंडुलकर ने कहा कि मौजूदा आक्रमण की सबसे अच्छी बात यह है कि यह इस दौर का सबसे बेहतरीन आक्रमण है। बुमराह इस प्रारूप में दुनिया के नंबर एक गेंदबाज हैं और हमेशा विकेट लेते हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा कलाई के स्पिनर कुलदीप और चहल भी बीच के ओवरों में मिलकर अच्छी गेंदबाजी कर रहे हैं। इसलिए कुल मिलाकर यह इस समय का बहुत अच्छा आक्रमण है।
(एजेंसी इनपुट)