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नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से भारत की गौरवपूर्ण ज्ञान परंपरा का पुनरुत्थान हुआ है : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में नई शिक्षा...
नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से भारत की गौरवपूर्ण ज्ञान परंपरा का पुनरुत्थान हुआ है : मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से भारत की गौरवपूर्ण ज्ञान परंपरा का पुनरुत्थान हुआ है। इस नई शिक्षा नीति में महाराजा सयाजीराव गायकवाड की प्रेरणा के भी दर्शन होते हैं।

पटेल ने रविवार को वडोदरा में महाराजा सयाजीराव (एमएस) यूनिवर्सिटी ऑफ बरोडा के 72वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए आगे कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृ भाषा में शिक्षा की हिमायत की गई है। देश में अब उच्च शिक्षा में भी मातृ भाषा में अभ्यास कराया जा रहा है। मातृभाषा हो या नवोन्मेष शोध-अनुसंधान, भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति ज्ञान केन्द्रित रही है।

इस समारोह में मुख्यमंत्री तथा महानुभावों के करकमलों से यूनिवर्सिटी के कुल 231 छात्राओं व 113 छात्रों सहित कुल 345 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। साथ ही उन्होंने यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक का अनावरण भी किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की युवा शक्ति के लिए स्वर्ण काल आया होने का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि विकसित राष्ट्र के निर्माण के लिए युवा शक्ति के निर्माण एवं अभ्युदय से यूनिवर्सिटियाँ महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। देश के युवाओं के समक्ष इस समय अनेक अवसर पैदा हुए हैं। इसकी प्रतीति केन्द्र सरकार के बजट में भी होती है, जिसमें देश की प्रगति का मुख्य आधार सक्षम-सबल युवा शक्ति को बताया गया है। प्रधानमंत्री ने शिक्षा के बजट में 7 प्रतिशत जैसी भारी वृद्धि की है।

पटेल ने गौरवपूर्वक कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट में भी शिक्षा के लिए आर्थिक प्रावधान में 26 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 55114 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। उन्होंने जोड़ा कि राज्य के बजट में गरीब, युवा, अन्नदाता तथा नारी शक्ति के साथ शिक्षा को अधिकतम प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि फ्यूचरस्टिक तथा डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी को गति देने के उद्देश्य से इंजीनियरिंग कॉलेज में रिसर्च पार्क स्थापित करने के लिए 10 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।

मुख्यमंत्री ने बजट की विशेषताओं की भूमिका देते हुए आगे कहा कि सरकारी इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक कॉलेजों में ग्रीन हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी, फिनटेक जैसे उभरते क्षेत्रों के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, सपोर्ट टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना के लिए 35 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। इस अद्यतन सेंटर से युवाओं को उच्च गुणवत्तायुक्त शिक्षा की सुविधाएँ प्राप्त होंगी।

नवस्नातकों को सीख देते हुए भूपेंद्र पटेल ने कहा कि डिग्री मिलने के साथ युवाओं का व्यावसायिक जीवन प्रारंभ होता है। यूनिववर्सिटी से जो शिक्षा प्राप्त की है, उसके उपयोग से उसे समाज को लौटाने का समय है। शिक्षा का उद्देश्य ही बेहतर समाज तथा उन्नत राष्ट्र निर्माण है। यह जरूरी है कि छात्र इस यूनिवर्सिटी से प्राप्त ज्ञान के माध्यम से समस्याओं के समाधान खोजने तथा रोजगार के सृजन में सहायक बनें।

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारत को वर्ष 2047 तक विकसित बनाने की संकल्पना को साकार करने में योगदान देने का आह्वान करते हुए कहा कि राज्य में ग्लोबली एम्पलॉयेबल वर्कफोर्स तैयार करने का लक्ष्य है। कौशल्यवान युवा शक्ति के कौशल से विकसित गुजरात के माध्यम से विकसित भारत के निर्माण के लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है। उन्होंने प्रतिबद्धता व्यक्त की कि विश्व के श्रेष्ठ 100 शैक्षणिक संस्थानों में 1 तथा श्रेष्ठ 250 शैक्षणिक संस्थानों में कम से कम 10 गुजरात के हों। श्री भूपेंद्र पटेल ने आरंभ में महाराजा सयाजीराव का स्मरण कर शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान की प्रशंसा की।

दीक्षांत समारोह में वर्चुअल माध्यम से जुड़े भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति धनंजय चंद्रचूड़ ने डिग्री प्राप्त विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ दीं और कहा कि आज का दिन उनका है। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए सीजेआई ने छात्रों से कहा, “आपके पास नए विचार हैं, प्रचंड आत्मविश्वास है और कार्य करने की भरपूर शक्ति है; जिससे आप अपने कॅरियर का निर्माण करने के साथ सेवा के भाव के साथ समाज में योगदान देकर अपना ऋण उतार सकते हैं। शिक्षा समाज से जो लिया है, उसे लौटाने तथा प्रतिफल देने का माध्यम है।”

उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी कैम्पस में पहला कदम रखने से लेकर आज डिग्री धारण करने तक की यात्रा में विद्यार्थियों के साथ उनके परिवारों का भी अमूल्य योगदान तथा बलिदान है। आज के समय में शिक्षा के माध्यम से ही समग्र विश्व को समृद्ध बनाया जा सकता है। उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा कि शिक्षा का लक्ष्य केवल कॅरियर या डिग्री सर्टिफिकेट ही नहीं है, बल्कि आदर्श एवं श्रेष्ठ नागरिक बनने की प्रथा तथा मार्ग भी है। उन्होंने गोल्ड मेडल तथा डिग्री प्राप्त करने वालों में छात्रों की तुलना में छात्राओं की अधिक संख्या को आधुनिक भारत के लिए मील का पत्थर बताते हुए आज के समय को परिवर्तन का समय बताया।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने एमएस यूनिवर्सिटी को 75 वर्ष पूर्ण कर अमृत काल में प्रवेश करने पर शुभकामनाएँ देते हुए समाज तथा राष्ट्र में गुणात्मक परिवर्तन में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका तथा महत्ता का वर्णन किया। उन्होंने सुधारों के लिए शैक्षणिक संस्थानों के परिश्रम की प्रशंसा की। संस्कार नगरी वडोदरा में आने पर गौरव की सहर्ष अनुभूति करते हुए शिक्षा मंत्री ऋषिकेश पटेल ने डिग्री पाने वाले छात्र-छात्राओं को यूनिवर्सिटी के अमृत काल के प्रथम स्नातक-अनुस्नातक कह कर संबोधित किया। 

उन्होंने डिग्री पाने वाले विद्यार्थियों को सामाजिक जीवन में पदार्पण की शुभकामनाएँ देते हुए सगौरव कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत का संकल्प देकर जो भूमिका बांधी है, उसे परिपूर्ण व चरितार्थ करने का दायित्व आज के शिक्षित युवा वर्ग का है। उन्होंने गौरवपूर्वक कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने, भारत को विकसित देश के रूप में देखने, अनुभव करने और गौरव लेने का समय आज के डिग्रीधारक विद्यार्थियों के हाथ में है। उन्होंने जोड़ा कि गोल्ड मेडल पाने वालों में छात्राओं की संख्या बहुत अधिक है, जो परिवर्तन एवं विकास की बातें सार्थक करती है।

ऋषिकेश पटेल ने कहा कि भारतीय संस्कृति से पल्लवित नई शिक्षा नीति से दासता की मानसिकता टूटेगी और यह नीति नए भारत की नींव रखेगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के कारण तेजी से बदलते समय और बदलती जरूरतों को ध्यान में रख कर अभ्यास करने वाले विद्यार्थी राष्ट्र निर्माण में अपना बड़ा योगदान दे सकेंगे। ईर्ष्या एवं अहम् से दूर रह कर प्रज्ञता तथा अपार धीरज के साथ कर्तव्य पथ पर निरंतर आगे बढ़ने की सीख देते हुए शिक्षा मंत्री ने विद्यार्थियों को सफल होने के प्रेरणादायी मंत्र दिए।

उन्होंने कहा कि केन्द्र व राज्य का बजट राष्ट्र भावना के साथ आगामी 25 वर्षों का रोडमैप प्रस्तुत करता है। उन्होंने दीक्षांत समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना दिखाएँ। उन्होंने विद्यार्थियों से राष्ट्र प्रेम की भावना के साथ दुनिया में निरंतर आगे बढ़ रहे भारत के नाम एवं कीर्ति को नए आयामों तक पहुँचाने के लिए प्रबल कर्मनिष्ठा से कार्य करने की अपील की।

डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ देते हुए चांसलर राजमाता शुभांगिनीदेवी गायकवाड ने डिग्रीधारकों से मानव कल्याण एवं समृत्थ के लिए कड़े परिश्रम से कार्य करने का मार्ग प्रशस्त कर अपने चरित्र एवं संस्कार के माध्यम से यूनिवर्सिटी का नाम गौरवान्वित करने को कहा। उन्होंने विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ दीं, “आज जब आप छात्र जीवन से सामाजिक जीवन में पदार्पण कर रहे हैं, तब प्राप्त की गई शिक्षा को आत्मसात कर समग्र विश्व में भारत का नाम रोशन करें।” उन्होंने वडोदरा के रजवाड़ा परिवार द्वारा इस यूनिवर्सिटी के लिए दिए गए अमूल्य योगदान का वर्णन भी किया।

कुलपति डॉ. विजय श्रीवास्तव ने स्वागत संबोधन में यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों की भूमिका दी। दीक्षांत समारोह के इस अवसर पर महापौर पिंकीबेन सोनी, सांसद रंजनबेन भट्ट, विधायक मनीषाबेन वकील व केयुरभाई रोकडिया, अग्रणी भरतभाई डांगर और यूनिवर्सिटी के संचालन मंडल के सदस्य उपस्थित रहे।

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