क्रेडिट स्कोर की प्रासंगिकता बढ़ती जा रही है। वर्तमान में ये उन सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर्स में से एक है, जो किसी व्यक्ति की फाइनेंशियल लाइफ़ को प्रभावित कर सकते हैं। क्रेडिट प्रोफाइल ख़राब होने से लेकर आर्थिक इमरजेंसी में लोन ना मिलने तक का रिस्क ख़राब क्रेडिट स्कोर के कारण आपके जीवन में रहता है। आपके लोन की ब्याज दर से लेकर इंश्योरेंस का प्रीमियम तय करने तक के लिए फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशंस आपके क्रेडिट स्कोर पर ध्यान देते हैं। इसके बावजूद कुछ लोग अभी भी इसकी महत्वता को समझ नहीं पा रहे हैं, जिसका नुकसान उन्हें भविष्य में हो सकता है। इस लेख में हम बताएँगे कि ख़राब क्रेडिट स्कोर से आपको क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।
ज़्यादा ब्याज दर पर मिलेगा लोन:
आमतौर पर बैंक उन लोगों को लोन देना पसंद करते हैं, जिनका क्रेडिट स्कोर 750 या ज़्यादा होता है। इससे कम क्रेडिट स्कोर वाले लोगों की लोन एप्लीकेशन रिजेक्ट होने की अधिक संभावना होती है। अगर उनकी एप्लीकेशन मंज़ूर हो भी जाती है, तो उन्हें लोन ज़्यादा ब्याज दर पर मिलेगा। दर्ससल, ज़्यादा क्रेडिट स्कोर ये दर्शाता है कि व्यक्ति को लोन देने में रिस्क कम है, इसी तरह कम क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्ति को लोन देना ज़्यादा जोखिमभरा माना जाता है। इसलिए, बैंक अच्छे क्रेडिट स्कोर वाले लोगों को लोन देना चाहते हैं। इसी के चलते कई बैंकों ने ज़्यादा क्रेडिट स्कोर वाले लोगों को कम ब्याज दर पर भी लोन ऑफर करना शुरू कर दिया है। इसके आलावा, ये जानने के लिए कि आपको सबसे कम ब्याज दरों पर किस बैंक/NBFC से लोन मिल सकता है, आप ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्किटप्लेस पर जा सकते हैं। वहाँ आप अपनी इनकम, क्रेडिट स्कोर, जॉब प्रोफाइल और आदि के आधार पर अपने लिए उपलब्ध लोन ऑफर के बीच तुलना कर सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड ना मिलना की संभावना:
लोन की तरह ही क्रेडिट कार्ड देने से पहले भी बैंक आवेदक का क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं। कई बार कम स्कोर वाले लोगों को क्रेडिट कार्ड नहीं मिल पाता है। जिसके चलते वो क्रेडिट कार्ड के रिवॉर्ड पॉइंट, कैशबैक, डिस्काउंट, मुफ्त गिफ्ट कार्ड, वाउचर, डाइनिंग ऑफर्स, फ़्री-लाउन्ज एक्सेस और आदि जैसे लाभों से वंचित रह जाते हैं। क्योंकि क्रेडिट कार्ड को अगर अनुशासित तरीके से उपयोग किया जाए, तो उसके द्वारा मिलने वाले लाभ उसकी वार्षिक फीस से ज़्यादा हो सकते हैं। इसके आलावा, क्रेडिट कार्ड फाइनेंशियल इमरजेंसी में बहुँत कारगर साबित होता है, कार्ड स्वाइप से ट्रांजेक्शन करने के साथ-साथ आप ज़रूरत पड़ने पर क्रेडिट कार्ड का उपयोग करके एटीएस से नकदी भी निकाल सकते हैं। क्रेडिट कार्ड लेने से आपकी क्रेडिट लिमिट भी बढ़ती है जिससे आपका क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो भी बेहतर होता हो, जिसका आपकी क्रेडिट प्रोफाइल पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
लोन बैलेंस ट्रान्सफर के अवसर खो देना:
कई बार बैंक अन्य बैंकों के मौजूदा लोन कस्टमर्स को ये ऑफर देते हैं कि वो अपना बकाया लोन कम ब्याज दरों पर उनके बैंक में ट्रान्सफर कर सकते हैं, इसे लोन बैलेंस ट्रान्सफर कहा जाता है। ये ऑफर पर्सनल लोन, होम लोन और बिज़नेस लोन तीनों के लिए मिल सकता है।
नया बैंक आपके पुराने बैंक को आपकी बकाया लोन राशि का भुगतान कर देता है और अब आप नए बैंक को कम ब्याज दरों पर लोन का भुगतान कर सकते हैं। इससे आपकी ब्याज लागत कम हो जाती है। कुछ बैंक कम ब्याज दर के साथ लम्बी भुगतान अवधि भी ऑफर करते हैं, ताकि ईएमआई का बोझ कम हो जाए। हालांकि, किसी भी नई लोन एप्लीकेशन की तरह लोन बैलेंस ट्रान्सफर एप्लीकेशन का मूल्यांकन करते समय भी बैंक व्यक्ति के क्रेडिट स्कोर पर ध्यान देते हैं। इसलिए, कम क्रेडिट स्कोर होने से आप अपने मौजूदा लोन की ब्याज लागत और ईएमआई के बोझ को कम करने के लिए बैलेंस ट्रांसफर विकल्प का लाभ उठाने से वंचित रह सकते हैं।
प्री-अप्रूव्ड लोन और क्रेडिट कार्ड:
बैंक, NBFC और ऑनलाइन फाइनेंशियल पोर्टल लोगों की क्रेडिट प्रोफाइल और क्रेडिट स्कोर के आधार पर उन्हें प्री-अप्रूव्ड लोन और क्रेडिट कार्ड ऑफर करते हैं। इन प्री-अप्रूव्ड लोन और क्रेडिट कार्ड का प्रोसेसिंग टाइम कम होता है तो ये जल्दी मिल जाते हैं, साथ ही अक्सर इन पर लागू ब्याज दरें भी कम होती हैं व कई बार इनके लिए दी जाने वाली फ़ीस भी रेगुलर लोन और क्रेडिट कार्ड ऑफर्स से कम होती है। कम या बिना क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्तियों को ऐसे प्री-अप्रूव्ड ऑफर्स नहीं मिल पाते हैं।
ऊपर जिन आर्थिक नुकसानों के बारे में बताया गया है जो ख़राब क्रेडिट स्कोर के कारण आपको हो सकते है, उनके अलावा आपको और भी कई परेशानियों का सामना उठाना पड़ सकता है जैसे, कॉर्पोरेट में आसानी से जॉब ना मिलना। इंडियन कॉर्पोरेट में भी अब कुछ ऑर्गनाइज़ेशन्स ने ये चलन शुरू किया है कि वो जॉब एप्लिकेंट की प्रोफाइल का मूल्यांकन करते समय उसका क्रेडिट स्कोर चेक करती हैं। ख़राब क्रेडिट स्कोर वालों को फाइनेंशियली डिसिप्लिन नहीं माना जाता है। इसलिए उन्हें नौकरी देने में ये जोखिम हो सकता है कि वो कंपनी के फाइनेंसेस का दुरुपयोग कर सकते हैं या अनैतिक कार्यों में शामिल हो सकते हैं।
इस प्रकार, खराब क्रेडिट स्कोर वाले लोगों को उन कंपनियों या संस्थानों में नौकरी पाने में मुश्किल हो सकती है जो जॉब एप्लीकेशन का मूल्यांकन करते समय क्रेडिट स्कोर को ज़रूरी कारक मान रही हैं। इन सभो कारणों को देखते हुए सलह दी जाती है कि अगर आपका क्रेडिट स्कोर ख़राब है तो उसे सुधारें। इसके लिए अपनी लोन ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान समय पर और पूरा करें, बार-बार अपने क्रेडिट कार्ड की पूरी क्रेडिट लिमिट का उपयोग ना करें, कम समय में कई बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई ना करें और आदि।