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त्रिदिवसीय शाला प्रवेशोत्सव 2024 को मिली शानदार सफलता, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा- काम को अपना समझ कर काम करने से अच्छे परिणाम अवश्य मिलते हैं

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व व मार्गदर्शन में गत 26 से 28 जून के दौरान...
त्रिदिवसीय शाला प्रवेशोत्सव 2024 को मिली शानदार सफलता, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा- काम को अपना समझ कर काम करने से अच्छे परिणाम अवश्य मिलते हैं

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व व मार्गदर्शन में गत 26 से 28 जून के दौरान राज्यव्यापी शाला प्रवेशोत्सव 2024 आयोजित किया गया। गुजरात में शिक्षा के स्तर में उत्तरोत्तर वृद्धि करने एवं कन्या शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल से यह अभियान प्रारंभ करवाया है।

शाला प्रवेशोत्सव की इस वर्ष की 21वीं श्रृंखला में सहभागी हुए मंत्रियों, पदाधिकारियों एवं अधिकारियों के प्रतिभावों, अभिप्रायों तथा सुझावों को जानने के लिए गुरुवार को गांधीनगर में मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में अभिप्राय बैठक आयोजित हुई।

बैठक में श्री पटेल ने कहा कि शाला प्रवेशोत्सव के इस शिक्षा सेवा यज्ञ की सफलता से विकसित गुजरात बना कर विकसित भारत के निर्माण की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की संकल्पना साकार करनी है।

इस संदर्भ में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि काम को अपना समझ कर काम करने से अच्छे परिणाम अवश्य ही मिलते हैं। इस बात को गुजरात ने शाला प्रवेशोत्सव की उत्तरोत्तर सफलता से सिद्ध किया है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा तथा शिक्षक; दोनों की जो इमेज थी, उसमें अब बदलाव आया है। गुणवत्ता, स्तर एवं सुविधा सुधरे हैं। इतना ही नहीं; शिक्षक अब विद्यार्थी के माता-पिता की भूमिका निभा कर बच्चे के सर्वांगीण विकास की निरंतर चिंता करते हैं।

श्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि ग्रामीण सुदूरवर्ती आदिवासी क्षेत्रों तक अब उन्नत शिक्षा सुविधाएँ पहुँची हैं। ऐसे में यह भी उतना ही आवश्यक है कि इन सुविधाओं का पर्याप्त लाभ बच्चों को मुहैया कराने के लिए शाला प्रवेशोत्सव जैसी पहलों के माध्यम से हम सभी साथ मिल कर और अधिक अच्छा परिणामदायी काम करें।

मुख्यमंत्री ने शाला प्रवेशोत्सव के अपने स्वानुभावों का वर्णन करते हुए जोड़ा कि आदिजाति क्षेत्र के अंतिम गाँव भी विकास की पंक्ति में अग्रिम गाँव बने हैं। सरकार ने वहाँ ऐसी सुविधाएँ पहुँचाई हैं। इस वर्ष के प्रवेशोत्सव में नौवीं कक्षा में प्रवेश पर पहली बार ध्यान केन्द्रित किए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हम ड्रॉपआउट रेशियों में बड़ा अंतर ला सकेंगे।

श्री पटेल ने ‘शिक्षक कभी साधारण नहीं होता’ की विभावना स्पष्ट करते हुए आगे कहा कि जिम्मेदार नागरिक के निर्माण की नैतिकता शिक्षक का परम दायित्व है। हम सब भी साथ मिल कर शिक्षा की ज्योत से उज्ज्वल भविष्य के लिए सहयोगी बनें।

बैठक में शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. विनोद राव ने शाला प्रवेशोत्सव 2024 की सफलता की उपलब्धियों का वर्णन करने वाला प्रेजेंटेशन दिया।

तद्अनुसार, राज्य के लगभग 74352 अधिकारियों, पदाधिकारियों तथा महानुभावों ने राज्यभर के 31885 प्राथमिक तथा 6369 माध्यमिक विद्यालयों की मुलाकात ली।

इतना ही नहीं, प्रवेशोत्सव के दौरान 6685 क्लासम रूम, 7878 कम्प्यूटर लैब एवं 26570 स्मार्ट क्लास का लोकार्पण-उद्घाटन संपन्न हुआ।

इस शाला प्रवेशोत्सव में बालवाटिका से लेकर कक्षा 11 में प्रवेश योग्य बच्चों का शाला में प्रवेश कराया गया। अब तक बालवाटिका में 4.38 लाख, कक्षा 1 में 9.14 लाख, कक्षा 9 में 8.12 लाख और कक्षा 11 में 5.62 लाख बच्चों की डेटा एंट्री चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम पोर्टल पर हुई है। डेटा एंट्री का कार्य 31 जुलाई तक पूर्ण किया जाएगा।

राज्य सरकार द्वारा बेटियों को शिक्षा में प्रोत्साहन देने के लिए शुरू की गई ‘नमो लक्ष्मी’ योजना के फलस्वरूप प्रवेशोत्सव के दौरान माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में छात्राओं के नामांकन में गत वर्ष की तुलना में 6.5 प्रतिशत से अधिक वृद्धि हुई है।

इसी प्रकार विज्ञान प्रवाह की शिक्षा में अधिक संख्या में विद्यार्थियों को प्रेरित करने के उद्देश्य से लागू की गई ‘नमो सरस्वती विज्ञान साधना’ योजना के कारण विज्ञान प्रवाह के विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या में 5 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

कृषि मंत्री श्री राघवजीभाई पटेल, आदिजाति विकास राज्य मंत्री श्री कुँवरजीभाई हळपति तथा लगभग पाँच सचिव स्तरीय वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वयं जिन गाँवों और विद्यालयों में गए थे, वहाँ की शिक्षा सुविधाओं, मध्याह्न भोजन, बच्चों के पठन-लेखन, गणित-विज्ञान के विषय के प्रति अभिरुचि तथा शिक्षकों की सज्जता और शिक्षा की गुणवत्ता के विषय में अपने मत, अभिप्राय एवं सुझाव व्यक्त किए।

शिक्षा मंत्री डॉ. कुबेरभाई डिंडोर ने अपेक्षा व्यक्त की कि शाला प्रवेशोत्सव का यह सेवा यज्ञ निरंतर रूप से चलता रहे और राज्य के बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की मशाल झिलमिलाती रहे।

मुख्य सचिव श्री राज कुमार ने बैठक में कहा कि शाला प्रवेशोत्सव की उत्तरोत्तर सफलता से शिक्षा के स्तर तथा गुणवत्ता; दोनों में सुधार हो, यही इस अभियान का आशय है।

उन्होंने कहा कि बच्चों के सर्वग्राही विकास के लिए शिक्षक के साथ अभिभावकों व समाज का योगदान भी आवश्यक है। इसे अधिक प्रेरित करने का दायित्व ऐसे प्रवेशोत्सव के जरिये हम सभी को निभाना है।

उन्होंने अपने अनुभवों का वर्णन करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों में कृषि श्रमिकों या श्रमिकों के बच्चे आते हैं, परंतु श्रमिकों के अनिश्चित निवास के चलते इन बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति की अनियमितता पाई जाती है। ऐसे बच्चों के माता-पिता से प्रत्यक्ष संपर्क कर उनकी संतानों को स्कूल में लाने के प्रयासों की जरूरत है।

मुख्य सचिव ने प्राथमिक स्तर से ही विद्यालय शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन के साथ बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल तथा जाँच के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (पीएचसी) तथा उप केन्द्रों को भी जोड़ने का प्रेरक सुझाव दिया।

बैठक में सर्व शिक्षा अभियान की राज्य निदेशक डॉ. रतनकँवर एच. गढवीचारण ने सभी उपस्थितों का आभार व्यक्त किया।

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