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नज़रिया

प्रथम दृष्टि / ओटीटी का गणतंत्र: अब यह जरूरी नहीं कि ओटीटी का सुपरस्टार बांद्रा से ही आए, वह बिहार के बेलवा से भी आ सकता है

प्रथम दृष्टि / ओटीटी का गणतंत्र: अब यह जरूरी नहीं कि ओटीटी का सुपरस्टार बांद्रा से ही आए, वह बिहार के बेलवा से भी आ सकता है

“अब यह जरूरी नहीं कि ओटीटी का सुपरस्टार बांद्रा से ही आए, वह बिहार के बेलवा से भी आ सकता है” साल भर...
अतीत के ध्वंस का समारोह

अतीत के ध्वंस का समारोह

दुनिया के किसी भी लोकतंत्र में ऐसा नहीं हुआ जैसा भारत में हो रहा है। सभी लोकतांत्रिक देशों में चुनाव के...
क्या भूलूं, क्या याद करूं?

क्या भूलूं, क्या याद करूं?

मुझे एकदम प्रारंभ में ही कह देना चाहिए कि मैंने इस आलेख का शीर्षक बच्चनजी से नहीं लिया है। मुझे तो याद...
प्रथम दृष्टि: किसका अफगानिस्तान? तालिबान, जिहादी ताकतों, कुछ पड़ोसी मुल्कों या चार करोड़ अवाम का...

प्रथम दृष्टि: किसका अफगानिस्तान? तालिबान, जिहादी ताकतों, कुछ पड़ोसी मुल्कों या चार करोड़ अवाम का...

“तालिबान की हुकूमत की वापसी भारत या किसी अन्य देश के लिए नहीं, बल्कि अफगानिस्तान की अवाम के हित में भी...
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