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नज़रिया

राजीव हत्याकांड/नजरिया: एक शब्द!

  “पेरारिवालन और उनकी मां राजीव गांधी की हत्या के लिए भी माफी कहतीं तो बेहतर होता” पढ़ रहा हूं कि...

नजरिया: स्त्री के लिए हक की बात दूर की कौड़ी, कैसे मिलेगा सहज अधिकार

“भारत में फेमिनिज्म स्त्री अधिकार के लिए नहीं बल्कि अपना नाम चमकाने का जरिया है” अपने प्रचलित...

नजरिया: स्त्री के कंधों पर ही नैतिकता की जिम्मेदारी क्यों

“जो समाज स्त्री को अपनी देह पर अधिकार नहीं देता, वह कैसे स्वीकार करेगा कि संबंध बनाने में दोनों की...

प्रथम दृष्टि: ये भी गर्व के हकदार

“विडंबना देखिए, निकहत जरीन भले महिला मुक्केबाजी का विश्व खिताब ले आई, बैडमिंटन टीम ने पहली बार थॉमस...

आपबीती: ऑर्गेज्म, धमकियां, गालियां और बाद की बातें

“स्त्रियों को अमूमन चरम सुख हासिल नहीं होता और अधिकांश पुरुष वर्ग इसे यूं बरतते हैं, जैसे किसी ने...

नजरिया: तन-तुष्टि से ज्यादा खास मन-संतुष्टि

“ऑर्गेज्म की अनुभूति जितनी शारीरिक है, उससे कहीं अधिक यह सुख मानसिक संतुष्टि से जुड़ा है। देह सुख को...

विमर्श: संवैधानिक लोकतंत्र है या...

“दमनकारी कानूनों और पुलिस का सहारा लेकर विरोध को दबाना प्रजातंत्र के सिद्धांतों के...

नजरिया: सोशल मीडिया के शिकंजे में हमारे गांव

“गांवों का भोलापन छीन रहे इन माध्यमों के इस्तेमाल पर नए सिरे से विचार की जरूरत” विकास एक सतत...

नए साम्राज्यवादी: पसर रहा है नव-उपनिवेशवाद

“बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां न सिर्फ अरबों लोगों का जीवन प्रभावित कर रही हैं, बल्कि दूसरी कंपनियों और...

महाराष्ट्र: सीएम उद्धव ठाकरे की अग्निपरीक्षा

“हनुमान चालीसा के पाठ के बहाने मातोश्री की ताकत को चुनौती देने की कोशिश, तो शिवसेना ताकत बरकरार रखने...

यशवंत सिन्हा का नजरिया: बुलडोजर बाबा या बुलडोजर मामा कहलाना गर्व नहीं

“बुलडोजर बाबा या बुलडोजर मामा कहलाना गर्व नहीं, शर्मिंदगी का प्रतीक” आजाद भारत में यह शायद बहुत ही...

पंकज त्रिपाठीः प्रयोगधर्मी अभिनेता की पेशकदमी

“अभिनय की भारतीय और पाश्चात्य विधियों में दक्ष देसज पंकज जैसा कुशल अभिनेता जब किसी किरदार को निभाता...

पंकज त्रिपाठी: बेशुमार किस्सों में भीगा अभिनेता

“आस-पड़ोस में चलती-फिरती, टहलती कहानियों के बीच उन्होंने सीखी सहजता” पंकज मेरे पटना के दिनों के...

प्रथम दृष्टि: चुनावी गुरु

“चुनावी गुरुओं की पूछ और महत्ता तब तक बनी रहेगी जब तक हर राजनीतिक दल फिर से यह नहीं समझ लेता कि अंततः...


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