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ललित मोदी के इस आईपीएल में कितने होंगे क्‍लीन बोल्‍ड

ललित मोदी गेट में एक प्रेस कान्फ्रेंस और एक इंटरव्यू के कूट संकेत भारतीय जनता पार्टी की गुटबाजी, क्रिकेट की खेमेबंदी और उससे धन के रिश्तों की एक पूरी कहानी ‘कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना’ की तर्ज पर अपने में समोये हुए हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली भले ही विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को डंसने वाले और भाजपा सांसद कीर्ति आजाद इंगित आस्तीन का सांप, जैसा कि बाद में भाजपाई शत्रुघ्न सिन्हा और आम आदमी पार्टी वालों ने भी सोशल मीडिया पर इशारा किया, हों या नहीं, उन्होंने स्वराज के नेक इरादे का तो बचाव किया, उनके कृत्य के औचित्य या नैतिकता का नहीं। और ललित मोदी, जो क्रिकेट दुकानदारी में उनके प्रतिद्वंद्वी खेमे के हैं, के बचाव से तो उन्होंने बिल्कुल ही परहेज किया।
ललित मोदी के इस आईपीएल में कितने होंगे क्‍लीन बोल्‍ड

भाजपा में गुटबंदी और क्रिकेट में खेमेबंदी, दोनों से होकर खिंची तनातनी की रेखा यहां साफ दिखाई पड़ी। वित्त मंत्री की हैसियत से प्रवर्तन निदेशालय और राजस्व गुप्तचर निदेशालय, ललित मोदी के मामले जिनकी जांच और निगरानी में हैं, जेटली के ही अधीन हैं। अब ललित मोदी के एक टीवी इंटरव्यू पर गौर करिए। जिस व्यक्ति पर भारत में अवैध धन की सफाई के मामले चल रहे हों, उस व्यक्ति ने कर चोरी की पनाहगाह और दुनिया भर में फैले अमीरों की ऐशगाह मॉन्टेनग्रो में समंदर के किनारे किसी महल के दीवाने खास के - से सात सितारा माहौल में बादशाहों की तरह बैठकर जोर-जोर से ताकतवर लोगों पर आरोपों की बौछार अपने साक्षात्कार में की। जिस व्यक्ति की सोहबत की वजह से भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तनाव में नजर आईं तथा पूरी सत्तारूढ़ भाजपा हिली हुई दिखाई दी, वह व्यक्ति बिल्कुल रिलैक्स्ड दिख रहा था। सवाल है कि उस व्यक्ति का खेल क्या है।

 

एक चीज पर गौर करें तो यह सवाल और भी मौजूं हो जाता है कि ललित मोदी यह किस तरह का आईपीएल खेल रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े मीडिया मुगल रुपर्ट मर्डोक और पूर्व विदेश मंत्री चिदंबरम जैसे ललित मोदी के कथित शत्रु उनके और स्वराज के खिलाफ ताजा मामला उछालने की कथित साजिश में शामिल हों न हों, जिन वसुंधरा राजे को उन्होंने अपनी पुरानी पारिवारिक मित्र बताया, उनकी लुटिया उसी इंटरव्यू में डुबोने में मोदी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। ब्रिटिश कोर्ट में दाखिल जिस शपथ पत्र की प्रति पर वसुंधरा के दस्तखत न होना दिखा कर राजस्थान के मुख्यमंत्री का बचाव करने की कोशिश की जा रही थी, वसुंधरा के दस्तखत वाली उसकी मूल प्रति होने की बात कहकर ललित मोदी ने उस पूरे बचाव को झूठा साबित कर दिया। मित्र हो तो ऐसा जो मित्र के मुंह छुपाने लायक गुंजाइश भी न छोड़े।

 

भला ऐसा क्यों ? इसके जवाब की तलाश के लिए थोड़ा पीछे वसुंधरा राजे के पिछले मुख्यमंत्रित्व काल में जाना होगा। राजे के साथ पुराने पारिवारिक संबंधों वाले ललित मोदी तब विदेश से अचानक राजस्थान अवतरित हुए थे और छोटी जगह नागौर के जिला क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष पद से शुरू कर भारतीय क्रिकेट को जगमग आईपीएल के नए राजमार्ग पर अकूत धन की रोमांचक सवारी के लिए डाल दिया। इस उल्का उदय में धौलपुर की कथित पूर्व महारानी और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का पूरा सहयोग रहा। जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम के पड़ोस में पांच सितारा ऐतिहासिक होटल रामबाग पैलेस के आलीशान माहौल में लगभग स्थायी निवास कर रहे ललित मोदी अपने पूरे ऑपरेशन का संचालन करते थे। बाज दफा राजे के सन्निध्य में। राजस्थान सरकार के अफसरों पर, अगर कुछ नौकरशाहों और राजे के राजनीतिक विरोधियों की मानें तो, रौबदार हुक्म चलाते हुए।

 

बहरहाल, ललित मोदी और वसुंधरा राजे की दांत काटी निकटता ऐसी हुई कि मोदी ने राजे के पुत्र और भाजपा सांसद दुष्यंत सिंह की कंपनी में साढ़े ग्यारह करोड़ रुपये से अधिक का एक विवादास्पद निवेश भी अप्रैल 2008 में कर डाला। जब दुष्यंत सिंह ने यह कंपनी बनाई थी तो यह ठनठन गोपाल थी। न इसके पास कोई संपत्ति थी, न करोबार। मुनाफा तो दूर की बात। फिर भी ललित मोदी ने उसमें 11.63 करोड़ रुपये निवेश कर डाले। कोई 3.80 करोड़ अग्रिम ऋण के रूप में और शेष पौने आठ करोड़ रुपये, दांतों तले उंगली दबाइए, 10-10 रुपये का हर शेयर 96, 180 रुपये प्रति शेयर के प्रीमियम पर खरीद कर। यह मामला अब भी प्रवर्तन निदेशालय की जांच में है। हालांकि दुष्यंत की सफाई है कि उनकी नियंत होटल कंपनी का उज्जवल भविष्य देखकर ललित मोदी की आनंद हेरिटेज होटल कंपनी ने उसमें पूंजी लगाई। बिना संपत्ति, बिना कारोबार की कंपनी का उज्जवल भविष्य क्या होता, पता नहीं लेकिन ई.डी की इस जांच के दायरे में एक और गंभीर बात है। आरोप है कि खुद ललित मोदी की होटल कंपनी में मॉरिशस के एक अनजान स्रोत विल्टन इन्वेस्टमेंट का पैसा आया था, जिसका एक हिस्सा उन्होंने राजे के पुत्र की कंपनी में लगाया। इसलिए ई डी इसकी जांच काले धन की सफाई के मामले के तौर पर कर रहा है।

 

लेकिन वसुंधरा राजे को दुबारा सत्ता में लाने वाले 2013 के विधान सभा चुनावों तक ललित मोदी के उनके साथ रिश्ते बदल गए। दरअसल, इस बीच धन-दुधारू क्रिकेट की महत्वाकांक्षाएं ललित मोदी को भारतीय क्रिकेट के अन्य मठाधीशों से टकराव की तरफ धकेल रही थीं जिनमें भाजपा नेता अरुण जेटली भी हैं। उधर ललित मोदी के साथ अपने रिश्तों के कारण वसुंधरा राजे अपनी पार्टी में और विरोधी कांग्रेस की ओर से लगातार आलोचना के दबाव में आने लग गई थीं। शायद इसी का नतीजा था कि वह ब्रिटिश कानूनी प्रक्रियाओं के सामने ललित मोदी की पैरवी तो करना चाहती थीं लेकिन भारतीय जांच अधिकारियों और अपने देश से छिपा कर। यही तथ्य अपनी कानून फर्म के दस्तावेजों के जरिये ललित मोदी ने मीडिया के सामने जगजाहिर कराये। और राजनीतिक हल्कों में कयास है कि शायद इसी वजह से 2013 में राजस्थान विधानसभा चुनावों के पहले ललित मोदी ने सिलसिलेवार ट्वीटों के जरिये अरुण जेटली, उनके करीबी भूपेंद्र यादव, वसुंधरा राजे और उनके विशेष अधिकारी धीरेंद्र खामथान पर हमले किए और राजस्थान विधान सभा चुनावों के लिए टिकट बिक्री तक के आरोप लगाए।

 

इसमें भी निशाने पर सबसे ज्यादा अरुण जेटली, मोदी की अदावत, कहते हैं, बढ़ गई। नतीजे में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के चुनाव में वसुंधरा और ललित मोदी के कभी करीबी रहे अमीन पठान ने मोदी को पछाड़ दिया। ऊपर से यह कि फिर मुख्यमंत्री बनीं वसुंधरा राजे ने पुर्तगाल के उसी कैंसर शोध चिकित्सा केंद्र शांपलीमॉड फाउंडेशन के साथ जयपुर में अत्याधुनिक कैंसर केंद्र खोलने का करार कर उसे तत्काल 35,000 हेक्टेयर भूमि आवंटित कर दी है। पता नहीं, यह ललित मोदी की जानकारी में हुआ या नहीं ।

 

क्या भाजपा की आस्तीन में एक सांप है या और भी हैं जो एक दूसरे पर हमला करने या फन काढ़े बैठे हैं?

 

 

 

 

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