चंद्रमा का वो हिस्सा जो धरतीवासियों की नजर से दूर रहता है, वहां चीन ने अपना स्पेसक्राफ्ट चांग ई-4 उतारा है। यह उपलब्धि अंतरिक्ष में सुपरपावर बनने की दिशा में चीन के बढ़ते कदम की गवाह है।
चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन (सीएनएसए) ने घोषणा की कि स्पेशक्राफ्ट चांग ई-4 ने चंद्रमा की दूसरी ओर की सतह को छुआ और तस्वीरें भेजीं। लैंडर रोवर क्राफ्ट चंद्रमा के दूसरी तरफ की सतह पर 177.6 डिग्री पूर्वी देशांतर और 45.5 डिग्री दक्षिणी देशांतर पर पूर्व निर्धारित लैंडिंग क्षेत्र में स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर पहुंचा।
चांग ‘ई-4’ का प्रक्षेपण शिचांग के प्रक्षेपण केंद्र से आठ दिसंबर को लॉन्ग मार्च 3बी रॉकेट के जरिए किया गया था। क्राफ्ट दक्षिण ध्रुव ऐटकेन बेसिन में वोन कारमन क्रेटर में उतरा और उसके लैंडर ने मॉनिटर कैमरा से ली गई लैंडिंग स्थल की एक तस्वीर भेजी।
पहाड़ी और ऊबड़ खाबड़ है दूसरी सतह
सरकारी संवाद समिति शिंहुआ ने कहा कि चांग‘ई-4 मिशन चंद्रमा के रहस्यमयी पक्ष का पता लगाने में अहम भूमिका निभाएगा। चंद्र अभियान ‘चांग‘ई-4’ का नाम चीनी पौराणिक कथाओं की चंद्रमा देवी के नाम पर रखा गया है।
चंद्रमा का आगे वाला हिस्सा हमेशा धरती के सम्मुख होता है और वहा कई समतल क्षेत्र हैं। इस पर उतरना आसान होता है, लेकिन इसकी दूसरी ओर की सतह का क्षेत्र पहाड़ी और काफी ऊबड़-खाबड़ है।
1959 में पहली बार सोवियत संघ ने चंद्रमा की दूसरी तरफ की सतह की पहली तस्वीर ली थी लेकिन अभी तक कोई भी चंद्र लैंडर या रोवर चंद्रमा की दूसरी तरफ की सतह पर नहीं उतर सका था।
चांद की एक ओर रहता है अंधेरा
चांद का हमेशा एक ही हिस्सा हमें इसलिए दिखता है, क्योंकि जिस गति से वह पृथ्वी के चक्कर लगाता है, उसी गति से अपनी धुरी पर भी चक्कर लगाता है। यही कारण है कि चांद का एक हिस्सा हमें नहीं दिखाई देता है। बताया जाता है कि चंद्रमा का अनदेखे हिस्सा मानव के बसने के लिए आदर्श है क्योंकि यहां पानी बर्फ के रूप में रहता है।
लैंडर से बंधे जर्मन विकिरण डिटेक्टर यह परीक्षण करेंगे कि लोगों के लिए लंबे समय तक जीवित रहना कितना खतरनाक होगा। रोवर सौर पैनलों द्वारा संचालित होता है और उसके ऊपर एक कैमरे होता है जो लगातार छवियों को कैद करता है और दृश्यमान और अवरक्त प्रकाश को मापकर चंद्रमा के चट्टान के रसायनिक मिश्रण का विश्लेषण करेगा।