बांग्लादेश में हुई आंतकी घटनाओं के बाद से पीस टीवी चर्चा में है। महाराष्ट्र सरकार ने गैर-कानूनी ढंग से हो रहे इसके प्रसारण पर जांच बैठा दी है। ऐसे में पीस टीवी के इतिहास को टटोलना दिलचस्प हो सकता है कि आखिर किस तरह से मुंबई के इस्लामी प्रचारक जाकिर नाइक द्वारा 2006 में शुरू किया गया था। भारत में भी 2012 में पीस टीवी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। पिछले दस साल में यह दुनिया भर में जिस तरह से फैला और इसने अपनी पहुंच बनाई, वह भी अपने आप में पड़ताल का विषय है।
पीस टीवी का प्रचार-प्रसार अंग्रेजी, उर्दू और बांग्ला में रोजाना टेलीकास्ट होता है। दुबई से इसे अप-लिंक किया जाता है। मुंबई के इस विवादित प्रचारक ने अपने ट्रस्ट के पैसे से इस टीवी को शुरू किया। यहां से उत्तेजक अपीलों और विवादास्पद बयानों को जारी करने का सिलसिला पुराना रहा है। ढाका में हुए आतंकी हमले, जिसमें 20 लोगों की हत्या हुई थी, उसके बाद बांग्लादेश के मंत्री हसानुल हक ने भारत सरकार से कहा था कि हमलावर जाकिर से प्रभावित थे और उनके भाषणों पर भारत को निगाह रखनी चाहिए थी। इसके बाद से भारत में सरगर्मियां तेज हो गईं।
पीस टीवी गैर-लाभ वाले सैटेलाइट चैनल के तौर पर चल रहा है। यह फ्री टू एयर चैनल है। शुरू होने के तकरीबन तीन साल बाद पीस टीवी उर्दू की शुरुआत हुई और फिर 2011 में बांग्ला लॉन्च किया गया। इस चैनल को और बढ़ाने के लिए जाकिर ने 2009 में 12.5लाख पाउंड अपने इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन से दिए थे। वर्ष 2011 से पीस टीवी पर भड़काऊ और आंतकवाद समर्थक प्रोग्राम करने के आरोप लगने लगे। बिट्रेन सहित बाकी देशों में इस पर एतराज जताया जाने लगा। ब्रिटेन, कनाडा और मलेशिया में जाकिर पर रोक लगी हुई है।
भारत में पीस टीवी के पास ऑन एयर का लाइसेंस नहीं है लेकिन फर भी केबल ऑपरेटरों की मदद से इ देखा जा रहा है। ऐसा कई और टीवी चेनलों के साथ भी है।