नेपाल के ऐतिहासिक संसदीय और प्रांतीय चुनावों के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। अब तक सामने आए नतीजों से सत्ता में वाम गठबंधन की वापसी सुनिश्चित प्रतीत हो रही है। नेपाली कांग्रेस को इन चुनावों में जोरदार झटका लगा है।
खबर लिखे जाने तक 30 संसदीय सीटों के नतीजे आए थे। इनमें से 26 पर वाम गठबंधन, तीन पर नेपाली कांग्रेस और एक पर निर्दलीय को सफलता मिली है। वाम गठबंधन के मुख्य घटक दल सीपीएन-यूएमएल ने अब तक 18 सीटें जीती है। उसकी सहयोगी सीपीएन-माओवादी केंद्र ने आठ सीटों पर जीत हासिल की है। सीपीएन-यूएमएल 44 और सीपीएन-माओवादी केंद्र 18 संसदीय सीटों पर आगे चल रही है। मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस (एनसी) 12 सीटों पर आगे है।
नेपाल में संसद की 128 और सात प्रांतीय सभाओं की 256 सीटों के लिए दो चरणों में मतदान हुआ था। पहले चरण में 26 नवंबर को 65 और सात दिसंबर को दूसरे चरण में 67 फीसदी मतदान हुआ था। संसदीय चुनाव के लिए 1,663 और प्रांतीय सभाओं के लिए 2,819 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। साल 2015 में नेपाल में नया संविधान लागू हुआ था। उसके तहत देश में पहली बार सात प्रांतीय सभाओं का गठन हुआ था। नए संविधान के तहत यह पहले चुनाव हैं। इन चुनावों से हिमालयी देश में स्थिरता आने की उम्मीद है।
नतीजे नेपाल की राजनीति में कोइराला परिवार के घटते प्रभाव को भी दिखाते हैं। एनसी के वरिष्ठ नेता शेखर कोइराला मोरांग-छह सीट से हार गए हैं। उन्हें सीपीएन यूएमल के लाल बाबू पंडित ने पटखनी दी है। नेपाल की राजनीति में कोइराला परिवार का वैसा ही दखल रहा है जैसा भारत में नेहरू-गांधी परिवार और पाकिस्तान में भुट्टो परिवार का रहा है। इस परिवार ने नेपाल को तीन-तीन प्रधानमंत्री दिए हैं। हारने वाले अन्य दिग्गज नेताओं में संचार मंत्री मोहन बास्नेट और राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक पार्टी के पशुपति राना शामिल हैं।
राजधानी काठमांडू की 10 संसदीय सीटों में से तीन पर सीपीएन यूएमल, दो पर नेपाली कांग्रेस को जीत मिली है। जीतने वालों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री प्रकाश मान सिंह, गगन थापा, वाम गठबंधन के कृष्ण कुमार राय, जीवन राम भंडारी और कृष्ण गोपाल श्रेष्ठ शामिल हैं। 2013 में नेपाली कांग्रेस ने दस में से आठ सीटें जीती थीं।