संरा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने कहा कि जिनका प्रतिनिधित्व है ही नहीं या जिन्हें कम प्रतिनिधित्व मिला है वे समानता की मांग करते हैं। परिषद में उन्हें दिए गए सेवा अवधि संबंधी आश्वासन पर्याप्त नहीं हैं। इन विकल्पों में नई सियासी वास्तविकताएं प्रतिबंबित नहीं होती, इसके अलावा संरा सुरक्षा परिषद के समक्ष वैधता का जो प्रश्न खड़ा है, उसका कोई जवाब भी सामने नहीं आता।
सुरक्षा परिषद में सदस्यता बढ़ाने और समान प्रतिनिधित्व के सवाल पर अंत: सरकारी चर्चाओं में अनौपचारिक बैठक में शरीक हुए अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत ऐसी श्रेणियों को लाने के पक्ष में नहीं है जिन्हें पहले ही जांच कर खारिज किया चुका है।
उन्होंने कहा, विकल्प जिन्हें बहुत पहले ही अस्वीकार किया जा चुका है, अब उन्हीं को नए रंगरूप में नए प्रस्ताव के तौर पर पेश करना अस्वीकार्य है।
उन्होंने यूनाइटेड या कॉनसेन्सस समूह की ओर से इटली के प्रतिनिधि द्वारा पेश नए विकल्पों पर सवाल उठाया। पाकिस्तान भी इस समूह का सदस्य है।
समूह द्वारा प्रस्तावित एक विकल्प दो वर्ष की अस्थायी सीटों के विस्तार से संबंधित है जबकि दूसरा विकल्प फिर से चुने जा सकने वाले दीर्घकालिक सदस्यों की नई श्रेणी से संबंधित है। भाषा