सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा कि भारत ने परमाणु हथियारों और लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों की अपनी होड़ में संयुक्त राष्ट्र की सीमाओं का उल्लंघन किया है।
संपादकीय में कहा गया है कि अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों ने भी अपनी परमाणु योजनाओं को ले कर नियमों में तब्दीली की है। लेकिन भारत अब तक अपनी परमाणु क्षमता से संतुष्ट नहीं है और वह ऐसे अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों के निर्माण के प्रयास में है जो दुनिया में कहीं भी निशाना लगा सकें और ऐसा कर वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों की बराबरी में आ सके।
चीनी अखबार के संपादकीय के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत प्रमुख दावेदार है क्योंकि वह एकमात्रा ऐसा उम्मीदवार है जिसके पास परमाणु एवं आर्थिक दोनों क्षमता है।
चीन की सैन्य ताकत के खिलाफ परमाणु एवं मिसाइल प्रतिरोधी क्षमता के विकास की भारत की मुहिम पर अंकुश लगाने में चीन की सीमाओं को वस्तुत: उजागर करते हुए अखबार ने कहा कि चीन को यह स्वीकार करना चाहिए कि बीजिंग भारत को लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें विकसित करने से नहीं रोक सकता है।
अग्नि-पांच 5,000 किलोमीटर तक मार कर सकने वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) है। इसे चीन को निशाना बनाने में सक्षम एक सामरिक मिसाइल के तौर पर व्यापक तौर पर देखा जाता है क्योंकि इसकी जद में चीनी मुख्य भूमि के अधिकतर हिस्से आते हैं।
संपादकीय में लिखा गया है कि चीनी यह नहीं मानते कि भारत का यह विकास उनके लिए कोई बड़ा खतरा पैदा किया है। अखबार ने सुझाव दिया कि चीन और भारत के लिए बेहतर विकल्प यह है कि वे घनिष्ठता बनाएं।
बहरहाल, भारत पर परमाणु एवं लंबी दूरी के मिसाइलों के विकास को लेकर संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय सीमाओं के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अखबार ने कहा कि अगर पश्चिमी देश भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्न देश स्वीकार करते हैं और वे भारत एवं पाकिस्तान के बीच परमाणु हथियारों की होड़ के प्रति बेरखी बरतते हैं तो चीन आवश्यकता अनुसार इन परमाणु नियमों के अनुपालन से नहीं हटेगा और इसके लिए सख्ती से खड़ा रहेगा।
इसके अनुसार, ऐसे में पाकिस्तान को भी परमाणु हथियारों के विकास के लिए वही विशेषाधिकार मिलने चाहिए जो भारत को मिले हैं। (एजेंसी)