Advertisement

ताइवान को हथियार बेचने पर अमेरिका को चीन ने धमकाया

चीन ने आज कहा कि उसने अमेरिकी राजदूत को तलब कर ताइवान को हथियार बेचे जाने पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। ताइवान को अमेरिका द्वारा 1.83 खरब डॉलर के हथियारों की बिक्री, खासतौर से दो युद्धपातों की बिक्री किए जाने का कड़ा विरोध करते हुए चीन ने कहा कि इन नए समीकरणों को देखते हुए वह ऐसे व्यापार में लगी अमेरिकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाएगा।
ताइवान को हथियार बेचने पर अमेरिका को चीन ने धमकाया

चीन के विदेश उपमंत्री चेंग चेगुयांग ने कल चीन में अमेरिकी दूतावास के प्रभारी काये ली को तलब किया और अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियार बेचे जाने का विरोध किया।

चीनी विदेश मंत्रालय के आज जारी एक बयान के अनुसार अमेरिकी प्रशासन द्वारा ताइवान की सुरक्षा के लिए 1.83 खरब डॉलर के हथियारों की बिक्री के पैकेज की घोषणा के कुछ देर बाद ही चेंग ने अपना बयान जारी कर दिया। इस सौदे में दो युद्धपोत, टैंक-भेदी मिसाइलें, टीओडब्ल्यू-2बी टैंक-भेदी मिसाइलें, एएवी-7 एम्फिबियस हमला वाहन और अन्य सैन्य साजो-सामान शामिल हैं। चेंग ने कहा, ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है। चीन, अमेरिका द्वारा ताइवान को हथियारों की बिक्री पर कड़ा प्रतिरोध जताता है।

चेंग ने कहा कि हथियारों की बिक्री गंभीर रूप से अंतरराष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मूल नियम-शर्तों के खिलाफ है। साथ ही चीन-अमेरिका के बीच हुई तीन आधिकारिक संयुक्त घोषणाओं के भी बिल्कुल खिलाफ है। यह चीन की संप्रभुता और सुरक्षा हितों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है। चेंग ने कहा, अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए चीन ने जरूरी कदम उठाने का निर्णय किया है जिसमें हथियार सौदे में शामिल कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाना शामिल है।

चेंग ने अमेरिकी राजदूत से कहा, कोई भी चीन की सरकार और उसकी जनता को उसकी राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने से रोक नहीं सकता और ना ही विदेशी हस्तक्षेप का विरोध करने से रोक सकता है। चेंग ने अमेरिका से आग्रह किया कि वह तीन आधिकारिक संयुक्त घोषणाओं के प्रति स्पष्ट प्रतिबद्धता दिखाए और हथियारों की बिक्री को वापस लेकर ताइवान के साथ सैन्य संबंधों को रोके ताकि इससे चीन-अमेरिका के संबंधों और विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को आगे नुकसान न पहुंचे। चीन ने ताइवान को हथियारों की बिक्री का नियमित विरोध किया है क्योंकि वह ताइवान पर अपना हक जताता रहा है। यह पहली बार है जब चीन ने अमेरिकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad