उन्होंने कहा, पिछले 18 महीनों में अर्थव्यवस्था के उड़ान भरने के लिए रनवे तैयार किए गए हैं। बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधार हो रहे हैं। वे अंतिम दौर में हैं। ये सुधार व्यवस्था को बदलने के लिए हैं, जिससे कि वह परिणाम दे सकें। हमारा मकसद लोगों के सपनों को साकार करने का है। मोदी ने कहा, इसका मतलब लोगों के चेहरों पर और ज्यादा मुस्कान लाना और दफ्तरों में कागजी कामों में कमी लाना है। वित्तीय बाजारों को मजबूत करने के प्रयास किए गए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने सत्ता में आने के फौरन बाद एफडीआई कानूनों को उदार बनाया और अब एफडीआई सुधारों का जो ताजा दौर चल रहा है, उसने भारत को विश्व की सबसे खुली अर्थव्यवस्था बना दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, हम सुधारों संबंधी परिचालन के अंतिम मुद्दों के प्रति सचेत हैं और हम मानदंडों को चुस्त-दुरूस्त बना रहे हैं। हाल ही में हमने एफडीआई को और उदार बनाया है और इसके बाद भारत एफडीआई के संदर्भ में सबसे खुली अर्थव्यवस्था बन गया है। मोदी ने कहा, हमें उम्मीद है कि जीएसटी व्यवस्था 2016 में लागू हो जाएगी। कंपनी कानून पंचाट स्थापित किया रहा है। पिछले साल की इस अवधि की तुलना में एफडीआई के प्रवाह में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है। धारणाएं अब सकारात्मक परिणामों में बदल रही हैं। एफडीआई को लेकर जताई गई प्रतिबद्धताएं वास्तविकताओं में बदल गई हैं।
उन्होंने कहा कि नियामक एवं कराधान संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए 14 निर्णायक कदम उठाए गए हैं। इससे भारत में निवेशकों के लिए अपार संभावनाएं बनी हैं जो वहनीय आवास से लेकर स्मार्ट सिटी और रेलवे से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा तक फैली है। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं आपको बड़े पैमाने पर भारत में निवेश का निमंत्रण देने के लिए यहां आया हूं। मैं आपको यह आश्वासन देने के लिए भी यहां आया हूं कि हम आपका बहुत ध्यान रखेंगे। उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने की हमारी प्रतिबद्धता इस विश्वास पर आधारित है कि प्रकृति हमारी मां है। हम उससे भी अधिक करेंगे जितने की जरूरत है।
भारत-सिंगापुर के रिश्तों में आर्थिक भागीदारी को मुख्य प्रेरक शक्ति बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सिंगापुर वैश्विक स्तर पर भारत का 10वां सबसे बड़ा और आसियान में दूसरा सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय कारोबार में कई गुणा वृद्धि हुई है। इस तथ्य को भी मोदी ने रेखांकित किया कि सिंगापुर, भारत में निवेश का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। हाल के समय में सिंगापुर में भारत की एफडीआई में भी वृद्धि हुई है। सिंगापुर, भारतीय निवेशों के भी श्रेष्ठ स्थलों में से एक है। काफी संख्या में भारतीय कंपनियां सिंगापुर में पंजीकृत हैं। प्रधानमंत्री ने आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती और जवाहर लाल नेहरू बंदरगाह पर नए कंटेनर टर्मिनल निर्मित करने में सिंगापुर की साझेदारी का भी उल्लेख किया।