इस वर्ष हज के लिए दुनिया भर से 18 लाख से अधिक लोग सऊदी अरब पहुंचे हैं। यह लोग सूरज उगने के साथ ही अराफात की पहाड़ी के आसपास पहुंचने लगे थे। यह पहाड़ी मक्का से करीब 15 किलोमीटर दूर है। इस पहाड़ी पर हज यात्रियों ने पूरा दिन बिताया और इस दौरान उन्होंने वहां पर नमाज अदा करने के साथ कुरान की तिलवत (पाठ) भी की। इस्लाम के अनुसार पैगंबर मोहम्मद ने करीब 14 सदी पहले इसी अराफात की पहाड़ी से अपना आखिरी संबोधन दिया था। इसी वजह से हज के दौरान इस पहाड़ी पर लोग पहुंचते हैं और इबादत करते हैं। अराफात की पहाड़ी तक पहुंचने के लिए प्रशासन ने 18,000 से अधिक बसों को लगाया गया है। वैसे यह इलाका एक ट्रेन सेवा से भी जुड़ा हुआ है। सभी हज यात्री अराफात की पहाड़ी से सूरज ढलने से पहले मुजदलिफा के लिए निकल गए जहा उन्होंने मगरिब (शाम) और एशा (रात) की नमाज अदा की। मुजदलिफा अराफात और मीना के बीच का स्थान है। मुजदलिफा के बाद सभी हज यात्री मीना के लिए रवाना होंगे।
हज के लिए पहुंचे दुनिया भर के लोगों के लिए यह एक अहम लम्हा होता है और कई लोग इसे यहां बयां करते हुए नजर आए। मिस्र से आए अकाउंटेंट अहमद सलमान ने कहा, यह मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन है। मैं दुनिया के सबसे खूबसूरत स्थान पर हूं जहां दुनिया भर का मुसलमान एक बार आने के सपने देखता है। दुनिया के कोने-कोने से आए हज यात्री यहां अल्लाहुम्मा लब्बैक (ईश्वर, मैं यहां हाजिर हूं) का उद्घोष करते हुए आगे बढ़ते देखे गए। दूर से देखने पर ऐसा नजारा दिख रहा था कि मानो यह पूरी पहाड़ी सफेद चादर से ढंक गई है क्योंकि चारों ओर बड़ी संख्या में अहराम (हज का लिबास) पहने हजयात्री वहां मौजूद थे। पिछले साल की भगदड़ को देखते हुए इस बार प्रशासन की ओर से पूरा ऐहतियात बरता जा रहा है। बीते साल 24 सितंबर को मीना में उस वक्त भगदड़ मची थी जब हजयात्री शैतान को कंकड़ मारने की रस्म को पूरा करने के लिए जा रहे थे। भगदड़ में करीब 2,300 लोगों की मौत हुई थी। हज के लिए हर साल दुनिया भर से लाखों मुसलमान पहुंचते हैं, लेकिन सर्वाधिक मुस्लिम आबादी होने के कारण इंडोनेशिया को सबसे अधिक हज कोटा मिलता है।