चीन ने कहा है कि एनएसजी (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) में भारत और अन्य गैर एनपीटी (अप्रसार संधि) देशों को सदस्यता देने पर एनएसजी सदस्यों की सियोल में चल रही बैठक में वार्ता हो रही है। इसके साथ ही चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने किसी भी देश भारत या पाकिस्तान को लक्षित नहीं किया है। हम केवल परमाणु अप्रसार संधि की चिंता करते हैं। इससे पहले एनएसजी में भारत की सदस्यता के प्रयास का विरोध कर रहे चीन ने मंगलवार को पहली बार कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए दरवाजे खुले हैं। हालांकि भारत का समर्थन करने के लिए अमेरिका की आलोचना करते हुए चीन ने कहा कि अमेरिका उन देशों में शामिल था जिसने एनएसजी में गैर एनपीटी देशों के प्रवेश के खिलाफ नियम बनाए।
चीन के विदेश मंत्रालय ने 48 सदस्यों वाले एनएसजी से कहा कि क्या इस समूह में गैर एनपीटी देशों को शामिल करने के लिए नियमों में बदलाव होने चाहिए, इस पर ध्यान केंद्रित करें। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, अमेरिका उन देशों में शामिल है जिसने नियम बनाए कि गैर एनपीटी देशों को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, संबंधित नियम इस सिद्धांत पर बना कि एनएसजी के केंद्र में एनपीटी था। भारतीय मीडिया से बात करते हुए हुआ ने कहा कि दरवाजे खुले हुए हैं। हमने कभी नहीं कहा कि हम किसी के खिलाफ हैं। हमने किसी देश को लक्षित नहीं किया चाहे भारत हो या पाकिस्तान। हुआ ने कहा कि चीन एनएसजी में नए सदस्यों को शामिल करने के लिए एनपीटी की चिंता करता है।
चीन की प्रवक्ता ने कहा, यह अंतरराष्ट्रीय अप्रसार का मुख्य हिस्सा है। अगर अप्रसार संधि में बदलाव होता है तो हम ईरान की परमाणु संधि की कैसे व्याख्या कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ईरान के साथ हाल में हमारी संधि हुई। उत्तर कोरिया का मुद्दा भी है। इसलिए यह मुख्य मुद्दे से संबंधित है कि क्या एनपीटी और अप्रसार व्यवस्था इससे प्रभावित होगी। उन्होंने कहा, गैर एनपीटी सदस्यों को शामिल करने के लिए दरवाजे खुले हुए हैं। यह कभी बंद नहीं हुआ। लेकिन एनएसजी के सदस्यों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि क्या नियम में बदलाव हो सकते हैं और क्या गैर एनपीटी सदस्यों को एनएसजी में शामिल किया जाना चाहिए। अमेरिका द्वारा भारत का समर्थन करने के बारे में हुआ ने कहा, हम नियमों की चिंता करते हैं। अमेरिका नियम तय करता है। यह चीन और भारत के बीच का मुद्दा नहीं है बल्कि अप्रसार प्रणाली का स्तंभ है। चीन के विरोध के बीच भारत की एनएसजी सदस्यता का अमेरिका ने फिर से समर्थन किया है और सदस्य देशों से कहा है कि सियोल में होने वाली पूर्ण बैठक के दौरान समूह में भारत के प्रवेश का समर्थन करें।