विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) जाने का निर्णय सावधानीपूर्वक विचार करके लिया, क्योंकि उन्हें पाकिस्तान में अवैध रूप से हिरासत में रखा गया था। वहांं उनका जीवन खतरे में था। उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा की तामील पर कल रोक लगा दी थी। जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनायी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने संवाददाताओं से कहा कि भारत ने उच्चायोग संपर्क के लिए पाकिस्तान से 16 बार अनुरोध किया, लेकिन इससे इंकार कर दिया गया। जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा जाधव को सुनाई गई मौत की सजा के खिलाफ अपील की स्थिति के बारे में भी कोई सूचना जाधव के परिवार को नहीं दी गई। जाधव मामले में भारत ने सावधानीपूर्वक चर्चा के बाद आईसीजे जाने का फैसला किया, क्योंकि वह अवैध रूप से पाकिस्तान की हिरासत में है और उसे अपहृत कर वहां लाया गया है। यहां तक कि उसे निष्पक्ष जांच का मौका भी नहीं दिया जा रहा है।
सुषमा स्वराज ने सरताज अजीज को लिखा पत्र
विदेश मंत्राालय के प्रवक्ता ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा ने 27 अप्रैल को पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज को एक खत लिखकर अनुरोध किया था कि जाधव के परिवार को वीजा दिया जाए। लेकिन उनके परिवार को अभी तक वीजा नहीं दिया गया।
हरीश साल्वे करेंगे पैरवी
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भारत की तरफ से इस मामले की वकालत कर रहे हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान के फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल द्वारा जाधव को मौत की सजा सुनाये जाने के खिलाफ कल हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपना पक्ष रखा था। उसी आधर पर आईसीजे ने स्थगन आदेश दिया है। बताया जाता है कि आईसीजे के अध्यक्ष रोनी अब्राहम ने पाकिस्तान सरकार को इस संबंध में एक पत्र भी लिखा है।
15 मई को सार्वजनिक सुनवाई
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय सोमवार को कुलभूषण जाधव के मामले की सुनवायी करेगा। आईसीजे ने एक विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी है। भारत ने आईसीजे से कहा था कि यदि अदालत तत्काल कदम नहीं उठाता है तो जाधव को मिली फांसी की सजा की तामील हो जाएगी। 15 मई को भारत की ओर से हरीश साल्वे आईसीजे में पक्ष रखेंगे।
वियना समझौते के उल्लंघन का आरोप
8 मई को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से गई अपील में भारत ने पाकिस्तान पर वियना सम्मेलन के भीषण उल्लंघन का आरोप लगाया और इस बात पर जोर दिया है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था। जाधव भारतीय नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद कारोबार के सिलसिले में ईरान गए हुए थे। हालांकि पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षा बलों ने तीन मार्च, 2016 को बलूचिस्तान से जाधव को गिरफ्तार किया।
आगे क्या हो सकता है?
भाजपा सांसद और पूर्व गृह सचिव आर के सिंह ने मीडिया से कहा, “कुलभूषण जाधव को जिस तरह से पाकिस्तान ने फांसी की सजा दी है और अब अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी है, यह भारत के लिए बड़ी जीत है, लेकिन जिस तरह से पाकिस्तान का रवैया है, ऐसे में कम ही उम्मीद है कि पाकिस्तान यह फैसला मानेगा।”