फाइनेंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को झटका देते हुए आतंक की फंडिंग रोक पाने में विफल रहने की वजह से उसे 'ग्रे लिस्ट' डाल दिया। एफएटीएफ द्वारा उठाए गए इस कदम का भारत ने स्वागत किया है। आतंकवाद की फंडिंग रोक पाने में विफल रहने की वजह से एफएटीएफ ने पाक को ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया है।
इस मामले में भारत के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद की फंडिंग रोकने और ऐंटी मनी लान्ड्रिंग अभियान चलाने के लिए एफएटीएफ के स्टैंडर्ड का पालन करने का आश्वासन दिया था। पाकिस्तान को खासकर संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी थी।
पाकिस्तान में अभी भी सक्रिय हैं आतंकी संगठन: विदेश मंत्रालय
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान में हाफिज सईद जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी और जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन पाकिस्तान में अभी भी सक्रिय हैं। ऐसे में पाकिस्तान अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं कर रहा है।
उम्मीद है FATF ऐक्शन प्लान का समयबद्ध तरीके से पालन होगा: भारत
भारत ने कहा कि हमें उम्मीद है कि एफएटीएफ ऐक्शन प्लान का समयबद्ध तरीके से पालन किया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि आतंकवाद से जुड़ी वैश्विक चिंताओं को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान भी अपनी जमीन से आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए विश्वसनीय उपाय करेगा।
पाकिस्तान ने एफएटीएफ को सौंपा था 26 सूत्री ऐक्शन प्लान
एफएटीएफ को पाकिस्तान ने 26 सूत्री ऐक्शन प्लान सौंपा था ताकि वह इस कार्रवाई से बच सके। हालांकि, पाकिस्तान एक बार फिर ब्लैक लिस्ट होने से बच गया है जो उसके लिए थोड़ी राहत की बात है। पाकिस्तान ने पूरा कूटनीतिक प्रयास किया था कि 37 सदस्य देशों वाले इस निकाय का फैसला उसके खिलाफ न जाए पर वह इसमें नाकाम रहा।
पैरिस में हुई एफएटीएफ की बैठक
जानकारी के मुताबिक, यह फैसला एफएटीएफ की पैरिस में हुई बैठक में बुधवार रात किया गया। उस वक्त वहां पाकिस्तान के वित्त मंत्री शमशाद अख्तर पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है असर
पाकिस्तान की ओर से 15 महीनों का एक ऐक्शन प्लान रखा गया और बताया गया कि उसके यहां मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों का धन का रास्ता बंद करने के क्या उपाय किए गए हैं। एफएटीए ने इसके एक दिन बाद अपने निर्णय की घोषणा की। हालांकि, ग्रे लिस्ट में जाने से भी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश पर भी विपरीत असर पड़ता है।
एक साल या उससे ज्यादा समय तक इस लिस्ट में रह सकता है पाक
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, यह राजनीति से प्रेरित फैसला है और इसका आतंक के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई से कोई लेनादेना नहीं है। एफएटीएफ के मुताबिक, पाकिस्तान अब एक साल या उससे ज्यादा समय के लिए इस लिस्ट में रहेगा। हालांकि, उसे समय से पहले इस सूची से हटाया भी जा सकता है, जैसा कि पहले भी हो चुका है।
2012 से 2015 तक FATF की ग्रे लिस्ट में रहा था पाक
इससे पहले पाकिस्तान साल 2012 से 2015 तक FATF की ग्रे लिस्ट में रहा है। पाकिस्तान के खिलाफ यह प्रक्रिया फरवरी 2018 में शुरू हुई थी जब एफएटीएफ ने अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह के तहत निगरानी के पाकिस्तान के नामांकन को मंजूरी दी थी। इसे ग्रे सूची के नाम से जाना जाता है।
जानें क्या है FATF
गौरतलब है कि एफएटीएफ पैरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है। इसका काम गैर-कानून आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है। इसका गठन 1989 में किया गया था। एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है। ‘ग्रे लिस्ट’ में जाने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश पर भी विपरीत असर पड़ता है।