अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने एक बार फिर देशवासियों से माफी मांगी है। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वो देश छोड़कर भाग गए थे। देश से भागने के लगभग तीन सप्ताह बाद गनी ने अफगानिस्तान के नागरिकों से बयान जारी करते हुए माफी मांगी है। उन्होंने कहा है कि मैंने सुरक्षाबलों के कहने के बाद काबुल छोड़ा। मुझे बताया गया कि अगर मैं काबुल नहीं छोड़ता हूं तो एक बार फिर 1990 जैसे हालात हो सकते हैं। काबुल छोड़ना मेरे जीवन का सबसे मुश्किल फैसला था लेकिन मेरा मानना है कि लाखों लोगों को बचाने का यही एकमात्र तरीका था। मैंने 20 साल से अधिक से अफगानिस्तान में लोकतंत्र के लिए काम किया है। मैं कभी काबुल नहीं छोड़ना चाहता था। ये वक्त मेरे अफगानिस्तान छोड़े जाने के लंबे मूल्यांकन का नहीं है। मैं भविष्य में इस बारे में और विस्तार से बात करूंगा।
गनी ने ट्विटर पर बयान जारी करते हुए कहा है कि काबुल छोड़ना मेरी जिंदगी सबसे कठिन फैसला था, लेकिन खून खराबा रोकने और 6 मिलियन लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए यही एक तरीका था। मैं अफगानिस्तान को एक लोकतांत्रिक, स्वतंत्र और संपन्न देश बनाने के लिए अपनी जिंदगी के 20 साल लगा दिए। मैंने यह कभी नहीं सोचा था कि लोगों से माफी मांगनी पड़ेगी।
उन्होंने अपने बयान में कहा कि अशरफ गनी ने आगे कहा है कि मुझे निराधार आरोपों का जवाब देना है। मुझ पर आरोप लगाए गए कि मैं काबुल से निकलते वक्त आम लोगों के करोड़ों रुपये ले गया। ये आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। मैंने अपनी सारी संपत्ति लोगों के लिए सार्वजनिक कर दी है। भ्रष्ट्राचार से लड़ना राष्ट्रपति के तौर पर मेरा प्रमुख मकसद रहा है। मैंने और मेरी पत्नी ने अपनी सारी संपत्ति सावर्जनिक रूप से घोषित कर दी है। मैं अपने बयानों की सत्यता को साबित करने के लिए यूनाइटेड नेशंस या किसी और स्वतंत्र निकाय के तहत आधिकारिक ऑडिट या जांच का स्वागत करता हूं।
Statement 8 September 2021 pic.twitter.com/5yKXWIdLfM
— Ashraf Ghani (@ashrafghani) September 8, 2021
गनी ने कहा है कि मुझे यकीन है कि एक लोकतांत्रिक अफगानिस्तान ही एकमात्र रास्ता है। यह देश को आगे बढ़ाने का रास्ता है। मैं पिछले 40 वर्षों के दौरान सभी अफगानों, विशेष रूप से हमारे अफगान सैनिकों और उनके परिवारों के बलिदान के लिए अपनी गहरी संवेदना और सम्मान की पेशकश करता हूं। इस बात का बेहद गहरा अफसोस है कि मेरा अध्याय पूर्ववर्तियों के समान ही त्रासदी में समाप्त हो गया।
गौरतलब है कि तालिबान के कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी अफगानिस्तान छोड़कर भाग गए थे। इसके बाद काबुल पूरी तरह से तालिबानियों के अधीन हो गया और नागरिकों में दहशत देखने को मिली। तालिबान के डर से लोग किसी भी तरह देश से निकलने की जद्दोजहद करते हुए दिखाई पड़े। काबुल एयरपोर्ट से भयावह मंजर की तस्वीरें सामने आईं, जो मौजूदा हालात को बयां करती दिखीं। वहीं, अफगानिस्तान में आए इस संकट के कारण भारी संख्या में नागरिकों का पलायन हुआ, जो पहले कभी नहीं हुआ था। लोग देश से निकलने के लिए फ्लाइट पर लटक गए और फ्लाइट के उड़ान भरने के बाद गिरने से कई मौतें भी हुई।