प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने नेपाली समकक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के साथ सघन एवं फलदायक बातचीत की जिसके बाद दोनों पक्षों ने तीन समझौतों पर दस्तखत किए। भारत नेपाल को भूंकप के बाद के पुनर्निर्माण के वास्ते 15 करोड़ डॉलर देगा। दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों में भी सहयोग जारी रखने का फैसला किया। दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच भेंटवार्ता के बाद नेपाल में स्थायित्व लाने की कोशिश को लेकर प्रचंड की सराहना करते हुए मोदी ने कहा, मुझे विश्वास है कि आपके नेतृत्व में नेपाल विविधतापूर्ण समाज के सभी वर्गों की आकांक्षाओं का समावेशन कर समग्र वार्ता के माध्यम सविधान को क्रियान्वित करने में सफल रहेगा। उन्होंने प्रचंड की उपस्थिति में कहा, बिल्कुल नजदीक पड़ोसी और दोस्ताना राष्ट्र होने के नाते नेपाल की शांति, स्थिरता और समृद्धि ही हमारा साक्षा उद्देश्य है।
इस पर प्रचंड ने कहा कि उनके देश के मन में भारत के प्रति सद्भावना के सिवा कुछ और नहीं है और दोनों देशों के भविष्य आपस में संबद्ध हैं। नेपाल के राजनीतिक परिवर्तन के बारे में प्रचंड ने कहा कि उनकी सरकार संविधान के प्रावधानों को लागू करने में सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की ईमानदार कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, मैं मोदीजी की बातों से इत्तेफाक रखता हूं कि लोकप्रिय निर्वाचित संविधान सभा द्वारा पिछले साल उद्घोषित संविधान नेपाल की जनता के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है। आप परिचित हैं कि हम संविधान को लागू करने के चरण में हैं और मेरी सरकार ने हरेक को साथ लेने की गंभीर कोशिश की है। दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद प्रचंड की यह पहली भारत यात्रा है। के पी शर्मा ओली ने नए संविधान के खिलाफ मधेसियों के विरोध के कारण उत्पन्न ताजे राजनीतिक उठा-पठक के चलते जुलाई में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।